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संसद में गतिरोध जारी, एसआईआर पर कार्यवाही ठप

सत्र का दसवां दिन भी हंगामें की भेंट चढ़ा, रास में मार्शल बुलाये पर पर विपक्ष ने जतायी कड़ी आपत्ति

नयी दिल्ली : संसद के दोनों सदनों में मानसून सत्र के दूसरे सप्ताह के अंतिम दिन (शुक्रवार) भी बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर गतिरोध बना रहा। दोनों सदनों जोरदार नारेबाजी और हंगामे की भेंट चढ़ गया कोई काम नहीं हो पाया। लोकसभा में विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद सोमवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी। राज्यसभा की कार्यवाही भी एक बार के स्थगन के बाद दोपहर बारह बज कर तीन मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी। राज्यसभा में सभापति के आसान के निकट यानी वेल में मार्शलों तैनात किये जाने पर विपक्ष ने घोर आपत्ति जतायी।

विपक्ष एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा की मांग अड़ा रहा

लोकसभा में एसआईआर के मुद्दे पर ही पहले सुबह 11 बजकर तीन मिनट पर सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी थी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कार्यवाही स्थगित करने से पहले शोर-शराबा कर रहे सदस्यों से शांत रहने की अपील की जो बेअसर रही। सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद अपराह्न दो बजे फिर से शुरू होते ही विपक्षी सदस्य आसन के निकट पहुंचकर ‘एसआईआर वापस लो’ के नारे लगाने लगे। पीठासीन सभापति कृष्णा प्रसाद तेन्नेटी ने नारेबाजी कर रहे सांसदों से अपने स्थान पर जाने और सदन चलने देने की अपील की। हंगामा जारी रहने पर सभापति तेन्नेटी ने कुछ ही मिनट बाद सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।

नारेबाजी की और तख्तियां दिखायीं

इससे पहले शुक्रवार सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर बिरला ने प्रश्नकाल शुरू कराया, तभी विपक्षी दलों के सदस्य एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा की मांग करने लगे। उन्होंने सदस्यों के नारेबाजी करने और तख्तियां दिखाने पर निराशा प्रकट करते हुए कहा कि विपक्षी सदस्य प्रश्नकाल में अन्य सदस्यों के प्रश्न पूछने का और सरकार को जवाबदेह ठहराने का अधिकार नहीं छीन सकते। बिरला ने कहा कि यह सदस्यों का गलत तरीका और गलत आचरण है। हंगामा नहीं थमने पर उन्होंने सदन की कार्यवाही 11 बजकर तीन मिनट पर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत बीते 21 जुलाई को हुई थी और निचले सदन में केवल दो दिन, गत मंगलवार और बुधवार को प्रश्नकाल हो पाया है।

रास में भी हंगामे की भेंट चढ़े शून्यकाल और प्रश्नकाल

एसआईआर सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा में आज भी शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाया। पूर्वाह्न 11 बजे बैठक शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। उन्होंने बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत 30 नोटिस मिली हैं जिनमें एसआईआर, ओडिशा में महिलाओं और बच्चों के कथित उत्पीड़न, बंगाली कामगारों के साथ दूसरे राज्यों में ‘दुर्व्यवहार’, छत्तीसगढ़ में दो ननों की गिरफ्तारी, अमेरिका द्वारा भारत पर लगाये गये 25 फीसदी शुल्क और जुर्माने के दुष्प्रभाव के मुद्दे पर नियत कामकाज स्थगित कर तत्काल चर्चा कराये जाने की मांग की गयी है।

उपसभापति ने स्वीकार नहीं कीं नोटिस

उपसभापति ने कहा कि ये नोटिस आसन द्वारा पूर्व में दी गयी व्यवस्था के अनुरूप नहीं हैं, इसलिए इन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता। नोटिस स्वीकार नहीं किए जाने पर विपक्षी सदस्यों ने विरोध जताया और हंगामा करने लगे। तृणमूल कांग्रेस के कुछ सदस्य आसन के सामने आ कर ‘एसआईआर पर हल्ला बोल’ तथा ‘वोट की चोरी बंद करो’ के नारे लगाने लगे।

खड़गे ने हरिवंश को पत्र लिख किया मार्शलों की तैनाती का विरोध

उच्च सदन में विपक्ष ने सदन के वेल में मार्शलों तैनात किये जाने पर भी घोर आपत्ति जतायी। सदन में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उपसभापति को पत्र लिखकर विरोध जताया है। खरगे ने लिखा सांसदों को विरोध करने का लोकतांत्रिक अधिकार है। सीआईएसएफ के जवानों को वैल में तुरंत भेज दिया जाता है। दो दिन से ऐसा हो रहा है ये आपत्तिजनक है और हम इसकी निंदा करते हैं। उम्मीद है कि जब सांसद आम जनता से जुड़े मुद्दे उठाते हैं तो सीआईएसएफ कर्मी वैल में नहीं आयेंगे।

रीजीजू और मेघवाल के तर्क

संसदीय कार्यमंत्री किरण रीजीजू और राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल और मुरगन ने साझे प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि संसद की सुरक्षा विपक्ष की मांग पर सुरक्षा में पिछले साल हुई चूक के बाद बदली गयी थी। सरकार का इसमें कोई दखल नहीं है ये संसद का प्रशासकीय मामला है। कोई भी सांसद दूसरे सांसद के कार्य में रुकावट नहीं डाल सकता। सबको अपनी बात रखने का विशेषाधिकार है। कुछ सांसद उछल कूद करते हुए बहुत आक्रामक तरीके से आगे आ गए उनको केवल रोकने का प्रयास किया गया था। विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखा कि बिहार मतदाता सूची पर चर्चा के लिए तारीख तय की जाये। इस पर रीजीजू ने कहा कि मतदाता सूची पर बोलने के लिए किसी भी मंत्री को अधिकार नहीं है। निर्वाचन आयोग पर आरोप लोकतंत्र को कमजोर करने का षड्यंत्र है।

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