इस्लामाबादः भारत द्वारा चिनाब नदी पर एक जलविद्युत परियोजना को हरी झंडी दिये जाने के बाद पाकिस्तान में चिंता और डर का माहौल बन गया है। भारत के इस फैसले से पाकिस्तान को पानी की किल्लत का डर और सताने लगा है।
पाकिस्तान की एक सांसद ने सोमवार को कहा कि ‘‘पानी को हथियार के तौर पर इस्तेमाल’’ करना शत्रुता और अविश्वास से भरे द्विपक्षीय संबंधों में तनाव और बढ़ाएगा। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सांसद शेरी रहमान ने यह टिप्पणी ऐसे वक्त में की है जब भारत में पर्यावरण मंत्रालय के अधीन एक समिति ने चिनाब नदी पर एक जलविद्युत परियोजना को मंजूरी दी है।
यह मंजूरी इस साल अप्रैल में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित करने की पृष्ठभूमि में दी गई है। रहमान ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में जम्मू और कश्मीर के किश्तवार जिले में चिनाब नदी पर 260 मेगावाट की ‘दुलहस्ती तृतीय-चरण’ जलविद्युत परियोजना को हरित पैनल द्वारा दी गई मंजूरी का जिक्र किया।
हथियार के रूप में इस्तेमाल
रहमान ने इसे अंतरराष्ट्रीय जल संरक्षण समझौते का "स्पष्ट उल्लंघन" बताते हुए कहा, ‘‘ जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय दबाव की अग्रिम पंक्ति में स्थित इस क्षेत्र में पानी का इस तरह से हथियार के रूप में इस्तेमाल करना न तो समझदारी भरा है और न ही स्वीकार्य है। इससे पहले से ही शत्रुता और अविश्वास से भरे द्विपक्षीय संबंध में तनाव और बढ़ेगा।’’
3200 करोड़ की लागत की है परियोजना
जलविद्युत परियोजनाओं पर विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने इस महीने की शुरुआत में अपनी 45वीं बैठक में इस परियोजना को मंजूरी दी, जिससे 3,200 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत वाली इस नदी-आधारित परियोजना के निर्माण के लिए निविदाएं जारी करने का मार्ग प्रशस्त हो गया। समिति ने पाया कि सिंधु जल संधि, 1960 के प्रावधानों के अनुसार चिनाब बेसिन का जल भारत और पाकिस्तान के बीच साझा किया जाता है, और परियोजना के मापदंडों की योजना भी संधि के अनुरूप ही बनाई गई है। पैनल ने टिप्पणी की, ‘‘हालांकि, सिंधु जल संधि 23 अप्रैल 2025 से निलंबित है।’’