नयी दिल्ली : ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद मिशन ‘पाक बेनकाब’ के तहत आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने का भारत का संदेश लेकर सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रमुख साझेदार देशों का दौरा करेंगे, जिनमें से चार प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व सत्तारूढ़ दलों के नेता जबकि तीन की अगुवाई विपक्षी दलों के नेता करेंगे। सरकार ने प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने के लिए जिन नेताओं का चयन किया है, उनमें सत्तारूढ़ दल भाजपा के रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे और जनता दल (यूनाइटेड) के संजय झा शामिल हैं तथा विपक्षी दलों से कांग्रेस के शशि थरूर, द्रविड़ मुनेत्र कषगम की कनिमोई, राकांपा (एसपी) की सुप्रिया सुले शामिल हैं।
‘असंतोष’ के सुर भी उठने लगे'
इस घोषणा के साथ ही प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के चयन को लेकर ‘असंतोष’ के सुर भी उठने लगे हैं। प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने वालों में कांग्रेस से एकमात्र सांसद शशि थरूर का नाम शामिल है हालांकि अब कांग्रेस ने कहा है कि उसने केंद्र को थरूर का नाम नहीं दिया था।
सरकार ने पार्टी से विचार-विमर्श किये बिना थरूर को शामिल किया : कांग्रेस
प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने वाले विपक्षी नेताओं में कांग्रेस सांसद शशि थरूर का नाम प्रमुख है हालांकि पार्टी ने जिन चार नेताओं की सूची सरकार को सौंपी थी उनमें थरूर का नाम नहीं है। कांग्रेस का कहना है कि उसकी तरफ से सिर्फ चार नेताओं - आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नासिर हुसैन और अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के नाम सरकार को दिये गये हैं। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने शशि थरूर का नाम लिये बिना कहा कि सरकार पार्टी से विचार-विमर्श किये बिना उसके किसी सांसद को शामिल नहीं कर सकती। रमेश ने आरोप लगाया कि सरकार खेल खेल रही है और शरारतभरी मानसिकता के साथ काम कर रही है।
राष्ट्रीय हित मैं पीछे नहीं रहूंगा : थरूर
वहीं थरूर ने कहा कि राष्ट्र हित और उनकी सेवाओं की आवश्यकता होने पर वे पीछे नहीं रहेंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री थरूर ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के ठिकानों पर भारत के हमलों का बचाव और भारत-पाक संघर्ष पर सत्तारूढ़ गठबंधन (राजग) के सख्त रुख का समर्थन किया है। संभावना है कि उन्हें अमेरिका जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने दिया जा सकता है। थरूर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि वे देश का दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के लिए पांच प्रमुख देशों में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए सरकार के निमंत्रण से ‘सम्मानित’ महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब राष्ट्रीय हित की बात होगी और मेरी सेवाओं की आवश्यकता होगी, तो मैं पीछे नहीं रहूंगा।
मुखर नेताओं का चयन किया गया : सरकार
संसदीय कार्य मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी एक बयान में कहा गया कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल हर तरह के आतंकवाद का मुकाबला करने की भारत की राष्ट्रीय सहमति और दृढ़ दृष्टिकोण को सामने रखेंगे। वे आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने के देश के मजबूत संदेश को दुनिया के समक्ष लेकर जायेंगे। सरकार ने प्रतिनिधिमंडल के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के ऐसे नेताओं का सोच-विचार कर चयन किया है, जिन्हें मुखर माना जाता है। इन नेताओं में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के चार और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के तीन नेता शामिल हैं, जो सार्वजनिक जीवन में लंबे समय से सक्रिय रहने वाले वरिष्ठ सांसद हैं। मंत्रालय के बयान में कहा गया कि प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल में प्रतिष्ठित राजनयिक शामिल होंगे।
प्रतिनिधिमंडलों की ‘जिम्मेवारियों’ का बंटवारा
सूत्रों ने बताया कि प्रसाद के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल के सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और अल्जीरिया का दौरा करने की उम्मीद है जबकि सुले की अगुवाई वाली सांसदों की टीम ओमान, केन्या, दक्षिण अफ्रीका और मिस्र की यात्रा करेगी। झा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल के जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, मलेशिया और इंडोनेशिया (सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश) का दौरा करने की संभावना है। सूत्रों ने बताया कि छह से सात सांसदों वाला प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल चार से पांच देशों का दौरा कर सकता है।
प्रतिनिधिमंडलों में शामिल सदस्य
अनुराग ठाकुर, अपराजिता सारंगी, मनीष तिवारी, असदुद्दीन ओवैसी, अमर सिंह, राजीव प्रताप रूडी, समिक भट्टाचार्य, बृजलाल, सरफराज अहमद, प्रियंका चतुर्वेदी, विक्रमजीत साहनी, सस्मित पात्रा और भुवनेश्वर कलिता सहित विभिन्न दलों के सांसद इन प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा होंगे। झा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद को भी शामिल किया गया है। खुर्शीद अभी सांसद नहीं हैं। सरकार ने तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय को भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने के लिए कहा था लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इनकार कर दिया।