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SIR और दिल्ली विस्फोट पर चर्चा के लिए अड़ा विपक्ष

सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकाली सत्र में विपक्ष ने एकजुट होकर मोदी सरकार को घेरने का किया फैसला।

नई दिल्लीः विपक्षी दलों ने रविवार को कहा कि सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और दिल्ली विस्फोट के मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय पर चर्चा कराई जानी चाहिए। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने सत्र की शुरुआत से एक दिन पहले बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में एसआईआर का मुद्दा प्रमुखता से उठाया।

इसके साथ ही, उन्होंने वायु प्रदूषण, विदेश नीति, किसानों की स्थिति, महंगाई, बेरोजगारी और कुछ अन्य विषयों पर सत्र के दौरान चर्चा कराने का आग्रह किया।

एसआईआर पर चर्चा होनी चाहिएः तृणमूल

तृणमूल कांग्रेस के नेता कल्याण बनर्जी ने उनकी पार्टी सदन चलाने के लिए सहयोग को तैयार है, लेकिन इसके लिए सरकार को भी सहयोग करना होगा। उन्होंने दावा किया, ‘‘एसआईआर पर चर्चा होनी चाहिए। कई बीएलओ की मौत हुई है, यह गंभीर मुद्दा है।’’ एक सवाल के जवाब में तृणमूल कांग्रेस के नेता ने आरोप लगाया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार बहुत ‘अहंकारी’ व्यक्ति हैं। उन्होंने सवाल किया, ‘‘सत्तापक्ष के लोग घुसपैठियों की बात करते हैं। बिहार में कितने घुसपैठिये मिले?’ बनर्जी ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी ‘‘खामियों’’ पर भी चर्चा होनी चाहिए।

उन्होंने यह दावा भी किया कि सर्वदलीय बैठक अब एक रस्म बनकर रह गई है। उन्होंने कहा कि संसद में विपक्ष को अधिक समय मिलना चाहिए।

सर्वदलीय बैठक महज एक औपचारिकताः कांग्रेस

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा संसद के शीतकालीन सत्र से एक दिन पहले बुलाई गई सर्वदलीय बैठक महज एक औपचारिकता थी। रमेश ने यह भी कहा कि विपक्ष से विचार विमर्श के बिना ही एक विषय पर अल्पकालिक चर्चा का फैसला कर लिया गया। सर्वदलीय बैठक के बाद लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि भाजपा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व वाली सरकार लोकतंत्र, संसदीय परंपरा और मर्यादा को खत्म करने की कोशिश कर रही है। शीतकालीन सत्र 19 दिनों के लिए बुलाया जा रहा है, लेकिन इसमें सिर्फ 15 कार्य दिवस होंगे। शायद यह अब तक का सबसे छोटा शीतकालीन सत्र है। यह सत्र भी देर से बुलाया जा रहा है।’’ उन्होंने दावा किया कि ऐसा लगता है कि सरकार खुद संसद को ‘डिरेल करने’ (पटरी से उतारने) की कोशिश कर रही है।

एसआईआर पर चर्चा जरूरीः सपा

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने कहा, ‘‘हमने एसआईआर का मुद्दा उठाया है, क्योंकि बड़े पैमाने पर मैंने अनियमितताएं देखी हैं। लोगों के नाम काटे जा रहे हैं, लोगों के आवेदन में गड़बड़ी की जा रही...बिहार में घपला हुआ है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार निर्वाचन आयोग का नाम लेकर चर्चा कराने से पल्ला नहीं झाड़ सकती।

यादव ने कहा, ‘‘मान लीजिए कि निर्वाचन आयोग प्रधानमंत्री का नाम काट दे, तो क्या इस पर चर्चा नहीं होगी?’’

यह पूछे जाने पर कि क्या एसआईआर पर चर्चा नहीं होने पर सदन नहीं चलने दिया जाएगा, तो सपा नेता ने कहा, ‘‘मेरा तो प्रयास यही होगा।’’

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