नई दिल्ली - यूक्रेन ने रूस पर अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला किया है, जिसे रूसी वायुसेना के खिलाफ सबसे आक्रामक कार्रवाई माना जा रहा है। हालांकि, यूक्रेन ने इतनी बड़ी स्तर पर यह हमला कैसे अंजाम दिया, इसकी स्पष्ट जानकारी अभी सामने नहीं आई है। बताया जा रहा है कि इस हमले में रूस को करीब सात अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। इस ऑपरेशन की योजना और क्रियान्वयन की विस्तृत जानकारी तो बाद में पता चलेगी, लेकिन यूक्रेन ने इस मिशन को जो नाम दिया है—'ऑपरेशन स्पाइडर्स वेब'—वह काफी सोच-समझकर चुना गया प्रतीत होता है। यह नाम इस हमले को लेकर एक प्रभावी प्रचार अभियान के तौर पर काम कर सकता है।
रूस ने कही ये बात
रूसी रक्षा मंत्रालय ने रविवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में देश के पांच प्रांतों में सैन्य हवाई अड्डों को निशाना बनाने की पुष्टि की थी, हालांकि इसके साथ ही मंत्रालय ने दावा किया था कि उसने आइवानवा, रायाज़न और आमिर प्रांतों में सैन्य हवाई अड्डों पर 'सभी हमलों को नाकाम कर दिया है। मंत्रालय ने ये भी बताया कि मिरमंस्क और इरकुत्स्क प्रांतों में नज़दीकी इलाक़ों से ड्रोन उड़ने के बाद 'कई विमानों ने आग पकड़ ली थी।' इसमें कहा गया कि सभी आग को बुझा दिया गया और कोई नुक़सान नहीं हुआ है। साथ ही ये भी दावा किया गया कि 'इन आतंकी हमलों में शामिल कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है।'
रूस ने कहा-यूक्रेन ने की है आतंकी हरकत
रूस ने यूक्रेन द्वारा उसके पांच अलग-अलग प्रांतों में किए गए हमलों की पुष्टि करते हुए इन्हें 'आतंकी कार्रवाई' करार दिया है। रूसी सोशल मीडिया पर साझा की गई कुछ अपुष्ट वीडियो और तस्वीरों में साइबेरिया के इरकुत्स्क इलाके स्थित बेलाया एयरबेस पर रूसी रणनीतिक बमवर्षक विमानों में आग लगती दिखाई गई है। इस क्षेत्र के गवर्नर इगोर कोबज़ेव ने बताया कि बेलाया बेस के पास मौजूद सेरडनी गांव के नजदीक एक सैन्य ठिकाने पर ड्रोन से हमला किया गया था। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि हमला किस लक्ष्य पर हुआ। उनका कहना है कि ड्रोन को एक ट्रक से लॉन्च किया गया था।
क्यों रखा ऐसा यूनिक नाम ?
यूक्रेन की सैन्य ख़ुफ़िया एजेंसी ने जो जानकारी दी है उसके हिसाब से ऑपरेशन स्पाइडर वेब अब तक की उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। क्योंकि उसने बताया है कि इस ऑपरेशन के लिए उसने 18 महीनों तक तैयारी की और इसमें कई छोटे छोटे ड्रोन्स को रूस में स्मगलिंग के ज़रिए पहुंचाया गया और ड्रोन्स को मकड़ी की जाल की तरह फैला दिया गया। सभी ड्रोन्स को मालवाहक ट्रकों के ख़ास कम्पार्टमेंट में रखा गया और इसके बाद हज़ारों मीलों दूर अलग-अलग चार जगहों पर ले जाकर उन्हें नज़दीकी सैन्य हवाई अड्डों पर रिमोटली लॉन्च किया गया।
ऐसा ख़ुफ़िया ऑपरेशन कभी हुआ ही नहीं
यूक्रेन के रक्षा विश्लेषक सरई कुज़न ने यूक्रेनी टीवी से कहा, "पूरी दुनिया में आज तक ऐसा ख़ुफ़िया ऑपरेशन कभी हुआ ही नहीं है। ये सारे ड्रोन्स लंबी दूरी के हमले करने में सक्षम थे। उन्होंने बताया कि ये सिर्फ़ 120 हैं जिनमें से हमने 40 को निशाना बनाया जो एक अभूतपूर्व आंकड़ा है। इस नुक़सान का आंकलन करना मुश्किल है, लेकिन यूक्रेनी सैन्य ब्लॉगर ओलेक्सांद्र कोवालेंको कहते हैं कि भले ही बॉम्बर्स और कमांड एंड कंट्रोल एयरक्राफ़्ट तबाह न हुए हों लेकिन इनका प्रभाव बहुत बड़ा है। यूक्रेनी सैन्य ब्लॉगर ओलेक्सांद्र कोवालेंको ने अपने टेलीग्राम चैनल पर लिखा, "ये नुक़सान इतना बड़ा है कि रूसी मिलिट्री-इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स अभी हालिया स्थिति में भविष्य में इन्हें फिर से बनाकर रख सके, ये मुश्किल नज़र आता है।