सन्मार्ग संवाददाता
बारासात : उत्तर 24 परगना जिले के गोबरडांगा क्षेत्र के पायरागाछी इलाके से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने भारत की नागरिकता और मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि यहाँ रहने वाले तारकनाथ ढाली और उनके परिवार के सदस्य, जिनमें उनके डॉक्टर बेटे गौतम ढाली शामिल हैं, एक ही समय में भारत और बांग्लादेश दोनों देशों की मतदाता सूची में शामिल हैं।
डॉक्टर परिवार पर 'अवैध निवास' का आरोप
यह आरोप लगाया गया है कि तारकनाथ ढाली, उनके बेटे गौतम ढाली और उनके परिवार के अन्य सदस्यों का नाम बांग्लादेश के सतखीरा (Satkhira) जिले की मतदाता सूची में दर्ज है। वहीं, उनका नाम पश्चिम बंगाल के गोबरडांगा के बेरगुम-2 ग्राम पंचायत के 164 नंबर बूथ की भारतीय वोटर लिस्ट में भी दर्ज है। स्थानीय लोगों ने शिकायत की है कि यह परिवार अवैध रूप से भारत में रह रहा है और इन्होंने गैरकानूनी तरीके से भारतीय नागरिकता और मतदाता पहचान पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज हासिल किए हैं।
स्थानीय शिकायत पर पुलिस की कार्रवाई
स्थानीय लोगों द्वारा शिकायत किए जाने के बाद, गोबरडांगा पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल कार्रवाई की। पुलिसकर्मी ढाली परिवार के निवास स्थान पर पहुंचे और मामले की गहन जांच शुरू की।
तारकनाथ ढाली का बयान
पूछताछ के दौरान, तारकनाथ ढाली ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि वह लगभग दस साल पहले बांग्लादेश से भारत आए थे और तभी से उत्तर 24 परगना में अपना घर बनाकर रह रहे हैं। हालांकि, जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि उन्हें भारतीय वोटर कार्ड, आधार कार्ड और अन्य भारतीय पहचान पत्र कैसे मिले, तो वह इस पर स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाए। उन्होंने केवल इतना दावा किया कि वह "कई सालों से बांग्लादेश नहीं लौटे हैं"।
पुलिस जांच और दस्तावेज़ों की मांग
गोबरडांगा पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि उन्हें मिली शिकायतों के आधार पर तारकनाथ ढाली और उनके परिवार के सदस्यों से विस्तृत पूछताछ की गई है। पुलिस ने परिवार से उनके नागरिकता संबंधी सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने के लिए कहा है।
पुलिस का कहना है कि वे इस मामले में दोनों देशों की मतदाता सूचियों में नाम होने के आरोपों की सत्यता की जांच कर रहे हैं। इस जांच का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या ढाली परिवार ने वास्तव में अवैध रूप से भारतीय पहचान पत्र प्राप्त किए हैं और यदि हाँ, तो इस प्रक्रिया में कौन-कौन से अधिकारी या व्यक्ति शामिल थे। यह मामला न केवल नागरिकता कानूनों के उल्लंघन से जुड़ा है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में मतदाता सूची की सटीकता और सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर चुनौती पेश करता है। पुलिस द्वारा सौंपे गए दस्तावेजों की जांच के बाद ही स्थिति पूरी तरह साफ हो पाएगी और आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।