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राज्य सरकार की पहल पर जिले के स्कूलों में अदरक-लहसुन की खेती शुरू

पहले चरण में 20 स्कूलों के छात्रों को अदरक और लहसुन की खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है

सन्मार्ग संवाददाता

हुगली : राज्य में अदरक, लहसुन और प्याज की खपत ज्यादा है और उत्पादन कम होती है। इन सामग्रियों के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। वहीं प्याज के मामले में नासिक से आयात पर राज्य की भारी निर्भरता है। ऐसे में राज्य सरकार प्याज की खेती को बढ़ावा दे रही है, लेकिन संरक्षण की समस्या के कारण किसान हिचक रहे हैं। अब सरकार ने एक नया पहल शुरू किया है स्कूलों में अदरक और लहसुन की खेती की जाएगी। राज्य के कई स्कूलों में पहले से ही मिड-डे मील के लिए किचन गार्डन की व्यवस्था है, जहां तरह-तरह की सब्जियां उगाई जाती हैं। अब इनमें अदरक और लहसुन की भी खेती की जाएगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर इस योजना को राज्य भर में लागू किया जाएगा। इसी बीच हुगली जिले से शुरुआत की गई है, जिले की मिट्टी बेहद उपजाऊ मानी जाती है। यहां पहले से ही आलू, प्याज और सब्जियों की खेती बड़े पैमाने पर होती है। जिला उद्यानपालन विभाग द्वारा चुंचुड़ा में आयोजित कार्यक्रम में राज्य के उद्यानपालन एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री अरूप राय ने इस योजना का उद्घाटन किया। पहले चरण में हुगली जिले के 20 स्कूलों के छात्रों को अदरक और लहसुन की खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पहले दिन मगरा प्रभावती बालिका विद्यालय और चुंचुड़ा सुकांत नगर अनुकूलचंद्र शिक्षाश्रम के छात्रों को यह प्रशिक्षण दिया गया।

राज्य के उद्यानपालन एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री ने कहा

मंत्री अरूप राय ने कहा कि हमारे राज्य में अदरक और लहसुन का उत्पादन बहुत कम है। कई बार इनके दाम अत्यधिक बढ़ जाते हैं। लहसुन 400 रुपये किलो और प्याज 100 रुपये तक पहुंच जाता है। इससे आम जनता को भारी तकलीफ होती है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर हम राज्य के हर जिले और अब स्कूलों को भी इस खेती से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। यह पहल छात्रों में कृषि के प्रति रुचि जगाने के साथ-साथ राज्य को खाद्य आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे ले जाने का एक अभिनव प्रयास है। हालांकि बीजेपी नेता सुरेश साव ने कटाक्ष करते हुए कहा आम लोग और किसान अपने बच्चे को उच्च शिक्षा देने के लिए स्कूल भेजते है कि पढ़ाई कर डॉक्टर, इंजीनियर, ऑफिसर बन सके, लेकिन राज्य की स्कूल का हाल खस्ता हो गई है। अब बच्चों को खेती करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

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