श्रीनगर : पेरिस में 2024 के ओलंपिक खेलों में कयाकिंग और कैनोइंग के लिए भारत की एकमात्र महिला जूरी बिलकिस मीर ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एससीबी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने के लिए अपनी तीन साल की कानूनी लड़ाई में जीत हासिल की है। जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने अधिकारियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि शीर्ष पर बैठे लोग ऐसे प्रतिभाशाली लोगों को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
मीर ने दुनियाभर में देश का नाम रोशन किया : कोर्ट
न्यायमूर्ति संजय धर के पीठ ने 20 पृष्ठों के आदेश में कहा कि जब मीर ने दुनियाभर में देश का नाम रोशन किया है, तब उनके द्वारा ‘तकनीकी योग्यता हासिल न करने को अपराध घोषित करने’ में एसीबी का रवैया ‘हमारे खेल नायकों के साथ हमारे व्यवहार के तरीके को दर्शाता है’ और ऐसा प्रतीत होता है कि यह मामला ‘निहित स्वार्थों द्वारा याची के खिलाफ शुरू किया गया एक षड्यंत्र’ है। मीर आज भी तीन साल पहले के उस पल को याद करके सिहर उठती हैं, जब उन्हें अखबारों से पता चला कि एसीबी ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है। उन्होंने एक भेंट में कहा कि मेरे सपने टूट गये और मैं समझ नहीं पा रही थी कि मेरी गलती क्या थी। पीठ ने शुक्रवार को प्राथमिकी को खारिज कर दिया। प्राथमिकी में दावा किया गया था कि उन आरोपों का सत्यापन किया गया था कि शारीरिक शिक्षा शिक्षक के रूप में नियुक्त मीर ने अपनी परिवीक्षा के दौरान शारीरिक शिक्षा में स्नातक पाठ्यक्रम पूरा नहीं किया था।
एसीबी ने 2023 में की थी एफआईआर
एसीबी ने 2023 में मीर के खिलाफ जम्मू-कश्मीर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें उन पर आधिकारिक कार्य के लिए कानूनी पारिश्रमिक से परे रिश्वत लेने और आपराधिक साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। यहीं से मीर की पीड़ा की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा कि जब मैंने कयाकिंग करने का फैसला किया, तो मेरे पास अभ्यास के लिए पैडल खरीदने के पैसे नहीं थे। मैंने उस समय भारत की जर्सी पहनी थी जब आतंकवाद अपने चरम पर था। किसी भी चीज ने मुझे नहीं रोका लेकिन यह एक ऐसा झटका था जिसे मैं झेलने के लिए तैयार नहीं थी और मैंने चुनौती देने का फैसला किया। कयाकिंग और कैनोइंग, दोनों ही पानी में नाव चलाने की गतिविधियां हैं।
अंतरराष्ट्रीय कोचिंग डिप्लोमा प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला
मीर का शानदार 28 साल का करियर आठ साल की उम्र में शुरू हुआ था और उनकी उपलब्धियों में हंगरी में 2009 के कैनोइंग और कयाकिंग विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व करना शामिल है, जहां वे आठवें स्थान पर रहीं। वे एशियाई खेलों (चीन) में जूरी के रूप में नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला थीं और उन्होंने लंदन ओलंपिक 2012 के लिए कयाकिंग और कैनोइंग में महिला टीम के लिए राष्ट्रीय कोच के रूप में कार्य किया था। मीर को बुडापेस्ट के ‘सेमेल्विस यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ कोचिंग एंड स्पोर्ट’ से अंतरराष्ट्रीय कोचिंग डिप्लोमा प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला होने का गौरव भी प्राप्त है।