कोलकाता : एक तरफ मानसून तो दूसरी तरफ डीवीसी द्वारा छोड़े जाने वाले पानी के कारण हर साल ही बंगाल के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस बार ऐसी स्थिति में कैसे जिलों को उबारा जाए इसके लिए उच्च स्तरीय बैठक होने जा रही है। सूत्रों के अनुसार बाढ़ को लेकर जागरूकता पर 16 मई को राज्य सचिवालय नवान्न में एक उच्च स्तरीय बैठक होने वाली है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देशानुसार मुख्य सचिव डॉ. मनोज पंत बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें सेना, बीएसएफ, एनडीआरएफ, आपदा प्रबंधन इकाई, नागरिक सुरक्षा और कई अन्य महत्वपूर्ण विभागों को आमंत्रित किया गया है। इस बैठक में विशेष रूप से डीवीसी प्राधिकरण को भी आमंत्रित किया गया है।
महीने के अंत तक चक्रवाती तूफान की आशंका है
गौरतलब है कि हर साल बरसात के मौसम में डीवीसी से पानी छोड़े जाने के कारण राज्यवासियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। फसलों, कृषि और ग्रामीण जीवन को व्यापक नुकसान पहुंचता है। पिछले सितंबर में, राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मैथन और पंचेत जलाशयों से पानी छोड़ने में डीवीसी की भूमिका से नाराज होकर वहां से राज्य के प्रतिनिधि को वापस बुलाने का फैसला की थी। राज्य विद्युत सचिव शांतनु बसु ने संगठन के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया। आरोप है कि डीवीसी जलाशय से पानी छोड़कर बंगाल में 'मानव निर्मित बाढ़' की योजना बनाई गई थी। यद्यपि केंद्र ने दावा किया कि जलाशय नियंत्रण समिति में पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधि था जिसने पानी छोड़ने का निर्णय लिया था। पानी छोड़ने से पहले राज्य प्रशासन को नियमानुसार सूचित किया गया था। एक उच्च अधिकारी के अनुसार, चूंकि मानसून निकट आ रहा है, इस महीने के अंत तक एक चक्रवाती तूफान आने की आशंका है। यही कारण है कि आवश्यक सावधानी और सतर्कता के लिए यह बैठक बहुत महत्वपूर्ण है, इसके अलावा डीवीसी को जितना संभव हो सके पानी रोकने की सलाह दी जानी चाहिए। संभावित चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों में निगरानी के लिए 1 जून से 24X7 नियंत्रण कक्ष भी खुली जाएगी।