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मोदी-शाह ने सरदार पटेल की 75वीं पुण्यतिथि पर दी उन्हें श्रद्धांजलि

मोदी ने कहा, ‘‘कृतज्ञ राष्ट्र एक अविभाजित और सशक्त भारतवर्ष के निर्माण में उनके अद्वितीय योगदान को कभी नहीं भूल सकता।’’

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल की 75वीं पुण्यतिथि पर सोमवार को उन्हें श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी 75वीं पुण्यतिथि पर मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि। उन्होंने अपना जीवन देश को एकजुट करने में समर्पित कर दिया।’’

मोदी ने कहा, ‘‘कृतज्ञ राष्ट्र एक अविभाजित और सशक्त भारतवर्ष के निर्माण में उनके अद्वितीय योगदान को कभी नहीं भूल सकता।’’ गृहमंत्री अमित शाह ने भी पटेल को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।

गुजरात के नाडियाड में 1875 में जन्मे पटेल ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी। देश के पहले गृह मंत्री के रूप में उन्होंने स्वतंत्रता के बाद 560 से अधिक रियासतों का भारत संघ में विलय कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सरदार प्रटेल का निधन 1950 में हुआ था।

शाह ने देश को एकजुट करने में पटेल की भूमिका को किया याद

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सरदार वल्लभभाई पटेल की 75वीं पुण्यतिथि पर सोमवार को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि पटेल ने तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भारत को एकीकृत कर मजबूत राष्ट्र का सुदृढ़ रूप दिया। शाह ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘राष्ट्रीय एकता के प्रतीक, मजबूत भारत के शिल्पकार लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जी को उनकी पुण्यतिथि पर नमन करता हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सरदार पटेल ने खंड-खंड में बंटे आजाद भारत को तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद एकीकृत कर मजबूत राष्ट्र का सुदृढ़ रूप दिया। देश के पहले गृह मंत्री के रूप में मां भारती की सुरक्षा, आंतरिक स्थिरता एवं शांति की स्थापना को ही उन्होंने अपना जीवन लक्ष्य बनाया।’’

ध्रुवतारे की तरह कर रहे मार्गदर्शन

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, ‘‘सहकारी आंदोलन को पुनर्जीवित कर महिलाओं, किसानों के स्वावलंबन से आत्मनिर्भर भारत की नींव रखने वाले सरदार पटेल राष्ट्रप्रथम के पथ पर ध्रुवतारे के समान हम सभी का मार्गदर्शन करते रहेंगे।’’ गुजरात के नडियाद में 1875 में जन्मे पटेल ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी। देश के पहले गृह मंत्री के रूप में उन्होंने स्वतंत्रता के बाद 560 से अधिक रियासतों का भारत संघ में विलय कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सरदार प्रटेल का निधन 1950 में हुआ था।

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