सन्मार्ग संवाददाता
श्री विजयपुरम : अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के उपराज्यपाल ने न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के प्रावधानों के तहत सरकारी विभागों, कार्यालयों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों में न्यूनतम मजदूरी दरों में संशोधन को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में औसत वृद्धि और परिवर्तनीय महंगाई भत्ता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उपराज्यपाल की स्वीकृति से छह अनुसूचित रोजगारों की श्रेणियों में न्यूनतम मजदूरी दरें संशोधित की गई हैं।
संशोधित दरें 1 जनवरी 2026 से लागू होंगी। नई दरों के अनुसार, अकुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी 652 रुपये प्रतिदिन, अर्द्धकुशल और अकुशल पर्यवेक्षकों के लिए 733 रुपये प्रतिदिन, कुशल और लिपिकीय श्रेणी के लिए 856 रुपये प्रतिदिन, और अत्यधिक कुशल श्रमिकों के लिए 939 रुपये प्रतिदिन निर्धारित की गई है।
श्रम विभाग ने बताया कि सभी नियोक्ताओं से अनुरोध किया गया है कि वे संशोधित दरों का पालन सुनिश्चित करें। आदेश की प्रति श्रम विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है, ताकि नियोक्ता और संबंधित अधिकारी इसे देख सकें और आवश्यकतानुसार कार्यान्वित कर सकें।
निर्देशों का उल्लंघन करने पर न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 एवं उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के अनुसार दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, कोड ऑन वेजेज, 2019 के प्रावधानों के तहत भी आवश्यक कार्रवाई संभव है। इस कदम का उद्देश्य श्रमिकों के वेतन को नियमित और न्यायसंगत बनाए रखना है, ताकि महंगाई और जीवन यापन की लागत के अनुरूप उन्हें उचित भुगतान प्राप्त हो।
श्रम विभाग ने स्पष्ट किया कि यह संशोधन केवल सरकारी विभागों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि श्रमिक सुरक्षा, रोजगार के अधिकार और उनके सामाजिक-आर्थिक हितों की रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण कदम है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के संशोधन श्रमिकों की आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। वहीं, नियोक्ताओं को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि वे समय पर और सही मात्रा में मजदूरी का भुगतान करें, ताकि विवाद और कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके।
इस संशोधन से अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के श्रमिक वर्ग को राहत मिलने की उम्मीद है और इसे राज्य सरकार द्वारा श्रमिकों के हित में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।