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'तुलसी के पौधे' पर राजनीति को लेकर ममता ने किया तीखा प्रहार

कहा, कुछ पौधों को हम ईश्वरीय भाव से देखते हैं

कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को ‘तुलसी के पौधे’ को लेकर हो रही राजनीति पर कड़ा जवाब दिया। उन्होंने बिना किसी दल का नाम लिये सीधे उन ताकतों पर निशाना साधा जो धार्मिक प्रतीकों का राजनीतिक उपयोग कर रही हैं। ममता ने कहा, अगर बेलूर मठ के पास दरगाह हो सकती है, तो फिर तुलसी का पौधा कहीं भी लगाया जा सकता है, लेकिन इसमें पवित्रता होनी चाहिए। कुछ पौधों को हम ईश्वरीय भाव से देखते हैं। जैसे शिव, मां दुर्गा और काली को बेल पत्र अर्पित करते हैं, आम के पत्तों का भी विशेष महत्व है।

तुलसी में लक्ष्मी और नारायण का वास माना जाता है

हाल के दिनों में विपक्षी भाजपा ने महेशतल्ला हिंसा के बाद ‘तुलसी के पौधे’ को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया हैं। उन्होंने हाथों में 'तुलसी' लेकर विधानसभा में धरना भी दिया। इस मामले में ममता ने बताया कि उनके अपने घर में 40 किस्म की तुलसी हैं। उन्होंने कहा कि तुलसी में लक्ष्मी और नारायण का वास माना जाता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप कहीं भी तुलसी लगा दें। तुलसी के पौधे की गरिमा होती है। मुख्यमंत्री ने कहा, अगर तुलसी लगानी ही थी तो अपने घर में लगाते। उन्होंने यह भी कहा, मैं उन सभी को यह कह रही हूं जो ओछी राजनीति कर रहे हैं। यह अन्याय है, हमारे देवी-देवताओं का अपमान है। लोगों को अपने धर्म मानने का अधिकार है। विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी का नाम लिये बिना ममता ने कहा, अगर देश में लोकतंत्र न होता तो आप मेरे घर के पास विरोध नहीं कर पाते। आपने चप्पल फेंकने की कोशिश की, लेकिन वह मेरे एक सिख भाई की पगड़ी पर गिरी। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा, अगर चाहे तो हम भी प्रधानमंत्री के घर का घेराव कर सकते हैं, लेकिन हम प्रधानमंत्री के पद की गरिमा को समझते हैं।

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