कोलकाता: एसआईआर विवाद के बीच सीएम ममता बनर्जी ने अपना विचार सांझा किया। बुधवार को पोस्ता बाज़ार में जगद्धात्री पूजा के उद्घाटन समारोह के मंच से मुख्यमंत्री ने लोकतंत्र और लोगों के अधिकारों की रक्षा का संदेश दिया।
उन्होंने कहा, हम सब त्योहार मनाते हैं। धर्म सबका अपना हो सकता है, लेकिन त्योहार सबके हैं। मैं सिर्फ यही चाहती हूं कि देश अच्छा रहे, बंगाल अच्छा रहे और लोग खुश रहें। मैं ‘डिवाइड एंड रूल’ की राजनीति नहीं चाहती। ममता का यह बयान उस समय आया जब मंगलवार से राज्य में मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा (SIR) प्रक्रिया शुरू हुई है।
इस बीच उन्होंने सीधे SIR या कमीशन का उल्लेख नहीं करते हुए भी वोटरों के अधिकार की रक्षा की बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा, कोई विभाजन नहीं चाहिए। सभी का मताधिकार और लोकतंत्र सुरक्षित रहना चाहिए। यह गांधीजी, नेताजी और अंबेडकर की लड़ाई थी, इस अधिकार को मजबूत रखना होगा।
उन्होंने कहा, सभी असली मतदाता खुश रहें। लोकतंत्र के स्तंभ को मजबूत करना होगा ताकि हर व्यक्ति अपने अधिकार का प्रयोग कर सके। ममता ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों जैसे गांधीजी, रवींद्रनाथ ठाकुर, काज़ी नजरुल इस्लाम और सरदार वल्लभभाई पटेल का ज़िक्र करते हुए कहा कि देश की एकता ही सबसे बड़ी ताकत है।
मुख्यमंत्री ने लोगों से एकजुट रहने की अपील करते हुए कहा, मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। जैसे पांच उंगलियां मिलकर मुट्ठी बनाती हैं, वैसे ही हमें एकजुट रहना होगा। अच्छे-बुरे सभी जगह होते हैं, लेकिन एकता ही शक्ति है।
कार्यक्रम के दौरान दार्जिलिंग सरस मेले का वर्चुअल उद्घाटन करते हुए ममता बनर्जी ने मंत्री उदयन गुप्ता को निर्देश दिया कि वे कूचबिहार जाकर उस महिला के परिवार से मिलें जिसने एनआरसी के डर से आत्महत्या का प्रयास किया था। इस दिन मुख्यमंत्री ने पोस्ता मार्केट से हुगली की चंदननगर, भद्रेश्वर, चुंचुड़ा और कृष्णानगर की कई जगद्धात्री पूजा का वर्चुअल उद्घाटन किया।