मालेगांव विस्फोट की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर (फाइल फोटो) 
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‘हिन्दू आतंकवाद झूठा, कोई सबूत नहीं’

मालेगांव विस्फोट : 6 लोगों की मौत हुई थी, साध्वी प्रज्ञा सहित 7 लोगों पर हमले की साजिश का था आरोप

मुंबई : महाराष्ट्र के मालेगांव विस्फोट मामले में 2008 में हुए ब्लास्ट से जुड़े मामले में करीब 17 साल बाद एक विशेष अदालत ने हिन्दू आंतकवाद को झूठा बताते हुए भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी 7 आरोपियों को गुरुवार को यह कहते हुए बरी कर दिया कि उनके खिलाफ कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं हैं। बता दें कि मालेगांव ब्लास्ट में छह लोगों की मौत हुई थी, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस केस की जांच पहले महाराष्ट्र एटीएस ने की थी। आतंक-रोधी दस्ते को सौंपी थी। हालांकि, बाद में जांच एनआईए के पास चली गई। महाराष्ट्र के मालेगांव में अंजुमन चौक और भीकू चौक के बीच शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट के सामने 29 सितंबर 2008 की रात 9.35 बजे बम धमाका हुआ था, जिसमें 6 लोग मारे गए और 101 लोग घायल हुए थे। इस धमाके में एक मोटरसाइकिल इस्तेमाल की गई थी। एनआईए की रिपोर्ट के के अनुसार यह मोटरसाइकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर थी। महाराष्ट्र एटीएस ने हेमंत करकरे के नेतृत्व में इसकी जांच की और इस नतीजे पर पहुंची कि उस मोटरसाइकिल के तार गुजरात के सूरत और अंत में प्रज्ञा ठाकुर से जुड़े थे। प्रज्ञा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सदस्य रह चुकी थीं। पुलिस ने पुणे, नासिक, भोपाल इंदौर में जांच की। सेना के एक अधिकारी कर्नल प्रसाद पुरोहित और सेवानिवृत मेजर रमेश उपाध्याय को भी गिरफ्तार किया गया था। इसमें हिंदूवादी संगठन अभिनव भारत का नाम सामने आया और साथ ही सुधाकर द्विवेदी उर्फ दयानंद पांडेय का नाम भी आया।

एटीएस और एनआईए जांच में था अंतर ः एटीएस ने शुरुआत में इस मामले की जांच की थी। एटीएस की जांच में पाया गया था कि साध्वी प्रज्ञा की एलएमएल फ्रीडम बाइक का इस्तेमाल विस्फोटक रखने के लिए किया गया था। लेफ़्टिनेंट कर्नल पुरोहित पर दक्षिणपंथी समूह अभिनव भारत नामक के माध्यम से आरडीएक्स की योजना बनाने और उसे खरीदने का आरोप लगाया गया था। जब एनआईए ने मामले की जांच अपने हाथ में ली, तो कई आरोप वापस लिए गए। एनआईए की वर्ष 2016 की रिपोर्ट में साध्वी दोषमुक्त : एटीएस चार्जशीट के अनुसार प्रज्ञा ठाकुर के विरुद्ध सबसे बड़ा सबूत मोटरसाइकिल उनके नाम पर होना था। इसके बाद प्रज्ञा को गिरफ्तार किया गया। उन पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) लगाया गया।

चार्जशीट के अनुसार जांचकर्ताओं को मेजर रमेश उपाध्याय और लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित के बीच एक बातचीत पकड़ में आई जिसमें मालेगांव धमाके मामले में प्रज्ञा ठाकुर की भूमिका का जिक्र था। बाद में जांच एटीएस से लेकर एनआईए को सौंप दी गई थी। एनआईए की चार्जशीट में उनका नाम भी डाला गया। मालेगांव ब्लास्ट की जांच में सबसे पहले 2009 और 2011 में महाराष्ट्र एटीएस ने स्पेशल मकोका कोर्ट में दाखिल अपनी चार्जशीट में 14 अभियुक्तों के नाम दर्ज किए थे। एनआईए ने जब मई 2016 में अपनी अंतिम रिपोर्ट दी, तो उसमें 10 अभियुक्तों के नाम थे। इस चार्जशीट में प्रज्ञा सिंह को दोषमुक्त बताया गया। साध्वी प्रज्ञा पर लगा मकोका हटा लिया गया और कहा गया कि प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ करकरे ने जो जांच की वो असंगत थी। इसमें लिखा गया कि जिस मोटरसाइकिल का जिक्र चार्जशीट में था वो प्रज्ञा के नाम पर थी, लेकिन मालेगांव धमाके के दो साल पहले से कलसांगरा इसे इस्तेमाल कर रहे थे।

साध्वी ने जमानत के बाद लोकसभा चुनाव जीता ः प्रज्ञा ठाकुर को ज़मानत तो मिल गई लेकिन उनपर मुकदमा चलता रहा। बाद में वो 2019 में भोपाल से लोकसभा का चुनाव लड़ीं और जीत गईं। भोपाल से चुनाव लड़ने के दौरान साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने मालेगांव धमाकों में लगे आरोप पर फिर सफाई दी है। उस समय एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि उन्होंने 'कोई कुकर्म नहीं किया जो मालेगांव का भूत हमेशा उनके पीछे लगा रहेगा। भोपाल को बीजेपी की मध्य प्रदेश में सबसे सुरक्षित सीटों में गिना जाता है। इस सीट पर बीजेपी साल 1989 से जीतती आ रही थी। लेकिन जिस साल बीजेपी ने प्रज्ञा ठाकुर को इस सीट पर अपना उम्मीदवार बनाया था, उस बार कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को इस सीट से उतारा था। यही नहीं, इस चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी।

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