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युद्ध और संघर्ष के कारण पिछले साल हुई 1,62,000 लोगों की मौतें : सीताराम शर्मा

प्रभावित हुई 19.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर आर्थिक व्यवस्था भी

कोलकाता . शांति और संघर्ष समाधान की ओर विषय पर आयोजित गोलमेज सम्मेलन में गुरुवार को अपने विचार पेश करते हुए टैगोर शांति अध्ययन संस्थान (टीआईपीएस) के संस्थापक अध्यक्ष सीताराम शर्मा ने कहा कि हम शांतिपूर्ण दुनिया में नहीं रह रहे हैं। सभी जानते हैं कि अभी भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव है। वैश्विक शांति सूचकांक के अनुसार, वर्तमान में 92 देश अपनी सीमाओं से परे संघर्षों में शामिल हैं। इनमें भारत भी है। पिछले साल 1,62,000 लोगों की युद्ध और संघर्ष के कारण मौतें हुईं। यह पिछले 30 वर्षों में दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसमें यूक्रेन और गाजा में संघर्ष के कारण लगभग तीन-चौथाई मौतें शामिल है। सीताराम शर्मा ने कहा कि 2023 में हिंसा के कारण दुनिया की 19.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर आर्थिक व्यवस्था प्रभावित हुई है। वे कोलकाता में टीआईपीएस के शुभारंभ के मौके पर बोल रहे थे। शांति और संघर्ष समाधान विषय पर आयोजित गोलमेज सम्मेलन में एडम्स यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर सुरंजन दास और भारत के पूर्व विदेश सचिव व राजदूत कृष्णन श्रीनिवासन ने भी अपने विचार रखे।

50 वर्ष पहले देखा था सपना

सीताराम शर्मा ने कहा कि लगभग 50 वर्ष पहले भारत में एक शांति विश्वविद्यालय का सपना देखा था, जो 1980 में कोस्टा रिका में संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित शांति विश्वविद्यालय यू पीस की तर्ज पर हो। उन्होंने कहा कि यूरोप में कई शांति विश्वविद्यालय हैं, लेकिन एशिया में एक भी नहीं है। मैंने इस संस्थान को शुरू किया है। श्रीनिवासन ने कहा कि भविष्य में दुनिया का संतुलन कुछ प्रमुख राज्यों और क्षेत्रीय शक्तियों के बीच ही बना रहेगा। वहीं सुरंजन दास ने कहा कि शांति दो तरह की होती है। नेगेटिव और पॉजिटिव शांति। पॉजिटिव शांति का अर्थ युद्ध रोकने के साथ-साथ समग्र विकास करना है।

ये रहे मौजूद

इस अवसर पर कलकत्ता विश्वविद्यालय के इतिहासज्ञ प्रो. शांतनु चक्रवर्ती जो टिप्स के शिक्षा अधिकारी हैं तथा अदिति राय घटक, डीन-ऑफ-स्टडीज, टिप्स, ने भी अपने वक्तव्य रखे। पश्चिम बंगाल संयुक्त राष्ट्रसंघ के सेक्रेटरी-जनरल डाॅ. राहुल वर्मा ने बैठक का संचालन किया। कार्यक्रम में कोलकाता के अनेक विशिष्टगण उपस्थित थे जिनमें एडमिरल विमलेंदु गुहा, डाॅ. हरिप्रसाद कानोड़िया, डाॅ. ओमप्रकाश मिश्रा (जादवपुर विश्वविद्यालय), रूपकथा सरकार (प्रिंसिपल, ला मार्टिनियर फाॅर गर्ल्स), डाॅ. जुगल किशोर सर्राफ, (मानद कंसुल, चिली), डाॅ. हिमांशु शर्मा (डायरेक्टर, कर्नावती विश्वविद्यालय), प्रो. सुरेन्द्र मुंशी (आईआईएम, कोलकाता), डाॅ. विक्रम सरकार (पूर्व सांसद), आयुध भूषण राजीव चक्रवर्ती, प्रदीप खेमका (मानद कंसुल, ब्राजील), इमरान जाकी, जोयता बासु, नंदलाल रूंगटा, डाॅ. चित्ता पांडा, दीपक खेमका (मानद कंसुल, फिलिपिंस), प्रो. सबिना उमर (पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग) और ब्रिगेडियर एनएस मुखर्जी शामिल थे।

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