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भूमि घोटाला : 2 आईएएस, 1 पीसीएस समेत 7 और निलंबित

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर अधिकारियों को किया गया निलंबित

देहरादून : उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को करोड़ों रुपये के हरिद्वार जमीन घोटाले में कड़ी कार्रवाई करते हुए 2 आईएएस और 1 पीसीएस सहित 7 और अधिकारियों को निलंबित कर दिया। अधिकारियों ने यहां बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर इस मामले में अब तक 10 अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है, जबकि 2 कार्मिकों का सेवा विस्तार समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि हरिद्वार में कथित जमीन घोटाले की जांच पूरी होने के बाद हरिद्वार नगर निगम के तत्कालीन प्रशासक और मौजूदा जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त एवं तत्कालीन उपजिलाधिकारी वरुण चौधरी और तत्कालीन उपजिलाधिकारी अजयवीर सिंह के अलावा वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की, हरिद्वार तहसील के रजिस्ट्रार कानूनगो राजेश कुमार, हरिद्वार तहसील के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कमलदास को निलंबित किया गया है।

इससे पहले, इस प्रकरण में हरिद्वार नगर निगम में प्रभारी अधिशासी अभियंता आनंद कुमार मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट, अवर अभियंता दिनेश चंद कांडपाल को पहले ही निलंबित कर दिया गया था, जबकि प्रभारी सहायक नगर आयुक्त रवींद्र कुमार दयाल और संपत्ति लिपिक का सेवा विस्तार समाप्त कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच सतर्कता विभाग को सौंपे जाने के निर्देश भी दिए हैं, जिससे दोषियों के पूरे समूह का खुलासा हो सके और पारदर्शिता बनी रहे। इसके अलावा, उक्त भूमि घोटाले से संबंधित विक्रय पत्र को निरस्त करते हुए जमीन मालिकों को दिए गए धन की वसूली सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश भी दिए गए हैं।

धामी ने तत्कालीन नगर आयुक्त चौधरी के कार्यकाल के दौरान हरिद्वार नगर निगम में हुए सभी कार्यों का विशेष आडिट कराए जाने के भी आदेश दिए ताकि वित्तीय अनियमितताओं की समुचित जांच हो सके। हरिद्वार नगर निगम द्वारा सराय गांव में कूड़े के ढेर के पास स्थित 2.30 हेक्टेयर अनुपयुक्त और सस्ती कृषि जमीन का भू उपयोग परिवर्तित कर उसे बाजार भाव से साढ़े तीन गुने से अधिक महंगे दामों पर 54 करोड़ रुपये में खरीदे जाने का मामला सामने आने के बाद प्रदेश भर में हलचल मच गयी थी। जांच में पाया गया कि इस भूमि की न तो वास्तविक आवश्यकता थी और न ही पारदर्शी बोली प्रक्रिया अपनाई गयी। इसके अलावा, भूमि खरीद में शासन के स्पष्ट नियमों को दरकिनार कर संदेहास्पद तरीके से सौदा किया गया।

हरिद्वार नगर निगम के नगर आयुक्त द्वारा की गयी जांच में प्रथम दृष्टया गंभीर अनियमितताएं मिलीं थीं। इसके बाद इसका संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसकी जांच प्रदेश के गन्ना और चीनी सचिव रणवीर सिंह चौहान को सौंपी, जिन्होंने 29 मई को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। जांच रिपोर्ट के मिलते ही मुख्यमंत्री ने कार्मिक विभाग को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए जिसके बाद सभी सात अभियुक्त अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पहले दिन से ही उनकी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि उत्तराखंड में ‘पद’ नहीं, ‘कर्तव्य’ और ‘जवाबदेही’ महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा,‘चाहे व्यक्ति कितना भी वरिष्ठ हो, अगर वह जनहित और नियमों की अवहेलना करेगा, तो कार्रवाई निश्चित है। हम उत्तराखंड में भ्रष्टाचार मुक्त नयी कार्य संस्कृति विकसित करना चाहते हैं। सभी लोक सेवकों को इसके मानकों पर खरा उतरना होगा।’

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