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कोलकाता में विशाल गीता पाठ में उमड़े लाखों लोग, बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री रहे आकर्षण के केंद्र

कोलकाता का प्रतिष्ठित 'ब्रिगेड परेड ग्राउंड' आज भगवद गीता पाठ समारोह को लेकर पूरी तरह से भगवामय नजर आया।

कोलकाताः पश्चिम बंगाल और पड़ोसी राज्यों से साधुओं एवं साध्वियों सहित लाखों श्रद्धालुओं ने कोलकाता के 'ब्रिगेड परेड ग्राउंड' में आयोजित भगवद गीता पाठ समारोह में भाग लिया। कार्यक्रम के आयोजकों ने बताया कि भगवा वस्त्र पहने भिक्षुओं ने कार्यक्रम स्थल पर गीता की प्रतियों से एक स्वर में श्लोक पढ़ा।

बड़ी संख्या में युवाओं और महिलाओं सहित उत्साही भीड़ ने शंखनाद और जयघोष के बीच भगवान कृष्ण का नाम जपते हुए जयकारे लगाए। राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस ने सभा को संबोधित करते हुए भगवद् गीता का पाठ किया तथा शांति और अहिंसा की बात की।

इस कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पश्चिम बंगाल इकाई के पूर्व प्रमुख सुकांत मजूमदार, पूर्व सांसद लॉकेट चटर्जी और विधायक अग्निमित्र पॉल सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया। इसी के साथ स्वामी प्रदीप्तानंद महाराज तथा धीरेंद्र शास्त्री सहित प्रमुख धार्मिक हस्तियां भी समारोह में शामिल हुईं।

प्रदीप्तानंद महाराज ने कहा कि लाखों की संख्या में लोगों का एकत्रित होना स्वतःस्फूर्त था और इसमें किसी राजनीतिक दल की कोई भूमिका नहीं थी। प्रदीप्तानंद महाराज ने कहा, "प्रशासन के एक वर्ग के असहयोग के बावजूद पांच लाख से अधिक लोग प्रेम और भक्ति के कारण भगवद् गीता का पाठ करने और सनातन हिंदू धर्म को बचाने के लिए स्वेच्छा से आए।"

देश में अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक गीता पाठ

'पंच लाखो कोंठे गीता पाठ' (एक साथ पांच लाख गीता पाठ) नामक इस कार्यक्रम का आयोजन सनातन संस्कृति संसद द्वारा किया गया है जो विभिन्न मठों और हिंदू धार्मिक संस्थानों से आए भिक्षुओं और आध्यात्मिक गुरुओं का एक समूह है।

पॉल ने कहा, "गीता केवल हिंदुओं के लिए नहीं है, यह भारत के सभी 140 करोड़ लोगों के लिए है।" आयोजकों ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य पश्चिम बंगाल की आध्यात्मिक विरासत को जागृत करना और धर्मग्रंथों के माध्यम से सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि इसे(कार्यक्रम) राज्य और संभवतः देश में अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक गीता पाठ बताया जा रहा है।

बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री क्या बोले

बागेश्वर धाम सरकार आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बड़े आकर्षण के केंद्र रहें। उन्होंने सनातन संस्कृति संसद द्वारा 'लोक्खो कंठे गीता पाठ' का आयोजन किए जाने की प्रशंसा करते हुए कहा, "आज पश्चिम बंगाल की पवित्र धरती कोलकाता में 5 लाख लोगों ने एक साथ गीता का पाठ किया। जोश और आस्था का सैलाब देखकर ऐसा लगा जैसे कोलकाता में महाकुंभ मेला लगा हो। हम पश्चिम बंगाल और कोलकाता के लोगों, भारत के लोगों का दिल से शुक्रिया अदा करते हैं। सनातन एकता ही इस देश और दुनिया के लिए शांति का सबसे बड़ा ज़रिया है। भारत में हमें 'सनातनी' चाहिए, 'तनातनी' नहीं। भारत में हमें 'भगवा-ए-हिंद' चाहिए, 'ग़ज़वा-ए-हिंद' नहीं..."

बड़े स्तर पर व्यवस्था

कार्तिक महाराज के रूप में लोकप्रिय स्वामी प्रदीप्तानंद महाराज ने कहा, "विभाजन के माहौल में आध्यात्मिक अभ्यास शांति और दिशा बहाल कर सकता है।" उन्होंने बताया कि राज्य भर से हजारों लोग पहले ही इसमें भाग लेने का संकल्प ले चुके हैं। आयोजकों ने पांच लाख लोगों के शामिल होने का अनुमान लगाया है जिसकी वजह से भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं। विशाल आयोजन स्थल पर तीन बड़े मंच बनाए गए हैं और मध्य कोलकाता में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

इस कार्यक्रम का आध्यात्मिक नेतृत्व गीता मनीषी महामंडल के स्वामी ज्ञानानंदजी महाराज द्वारा किया जा रहा है जबकि योग गुरु बाबा रामदेव सहित कई प्रमुख साधुओं को कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है।

दो साल पहले भी हुआ था गीता पाठ

जानकारी के मुताबिक, यह आयोजन तृणमूल कांग्रेस(टीएमसी) के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर द्वारा मुर्शिदाबाद में राजनीतिक रूप से प्रेरित 'बाबरी मस्जिद' की तर्ज पर एक मस्जिद के नींव रखे जाने के एक दिन बाद सामने आई है। यह घटना इस बात को रेखांकित करती है कि अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले, पश्चिम बंगाल के सार्वजनिक क्षेत्र में आस्था और पहचान से जुड़े प्रश्न कितनी तेजी से एक दूसरे से मिल रहे हैं।

दिसंबर 2023 में लोकसभा चुनाव से पहले 'ब्रिगेड' में इसी तरह का 'एक लाख स्वरों' वाला गीता पाठ कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसके ठीक दो साल बाद आज यानी रविवार को 'पंच लाखो कोंठे गीता पाठ' नामक इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम के कारण राजनीतिक विवाद शुरू हो गया था जिसमें सत्तारूढ़ टीएमसी ने भाजपा पर धर्म का इस्तेमाल कर ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाया था।

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