कोलकाता: संविधान संशोधन बिल 2025 को लेकर गठित होने जा रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को लेकर केंद्र सरकार असमंजस में है। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद कल्याण बंद्योपाध्याय ने इस पूरी प्रक्रिया को सरकार का स्वेच्छाचार करार देते हुए कहा कि यह जेपीसी पूरी तरह निष्क्रिय और अप्रभावी है।
उनका आरोप है कि यह सिर्फ जनता का ध्यान भटकाने और संसद का समय बर्बाद करने की एक रणनीति है। तृणमूल कांग्रेस ने पहले ही साफ कर दिया था कि वह जेपीसी में भाग नहीं लेगी। इसके बाद समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी तृणमूल की राह पकड़ी।
कांग्रेस ने अब तक कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिया है, लेकिन संकेत दिए हैं कि वह भी इस जेपीसी से दूरी बनाए रखेगी। विपक्षी दलों के इस एकजुट रवैये से केंद्र सरकार दबाव में है और जेपीसी गठन की प्रक्रिया फिलहाल ठप पड़ी है। अभी तक सदस्यों की सूची भी जारी नहीं हो पायी है।
कल्याण बंद्योपाध्याय ने आरोप लगाया कि सरकार जेपीसी के जरिए लोकतांत्रिक विरोध को दबाना चाहती है। उन्होंने कहा कि पहले की जेपीसी में भी विपक्ष की कोई सुनवाई नहीं हुई थी। वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में जेपीसी की विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है। कुल मिलाकर, जेपीसी को लेकर मोदी सरकार असहज स्थिति में है और विपक्ष की तीखी आलोचनाओं का सामना कर रही है।