नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले पर अधजले नोट मिलने के मामले में नये खुलासे हुए हैं। बताया जाता है कि जिस स्टोर रूम में आग लगने के बाद जली नकदी मिली, वह न्यायमूर्ति वर्मा और उनके परिवार के कब्जे में था।
समिति ने 50 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किये
जांच समिति ने बंगले के इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों, गवाहों और जांच के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। समिति ने 50 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किये। इनमें दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा और फायर सर्विस के प्रमुख भी थे। दोनों अफसर आग लगने के बाद सबसे पहले मौके पर पहुंचने वालों में थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि गत 14 मार्च की रात करीब 11:35 बजे आग लगने के बाद स्टोर रूम से नकदी हटाई भी गयी थी।
सीजेआई ने की थी जांच की सिफारिश
न्यायमूर्ति वर्मा के आवास से अधजले नोट मिलने की खबर सामने आने के बाद उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने मामले की जांच के लिए 22 मार्च को पैनल बनाया था। पैनल ने 4 मई को सीजेआई को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें न्यायमूर्ति वर्मा को दोषी ठहराया गया था। जिसके बाद सीजेआई वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की थी।
महाभियोग लाने पर विचार
नकदी कांड मामले में न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ केंद्र सरकार संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार मानसून सत्र में यह प्रस्ताव लाया जा सकता है। कार्रवाई से पहले सरकार विपक्षी दलों को विश्वास में लेगी हालांकि सरकार इंतजार कर रही है कि वर्मा खुद इस्तीफा दे दें। वे फिलहाल इलाहाबाद उच्च न्यायालय में हैं।