जस्टिस यशवंत वर्मा 
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सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा के आवास से मिली नकदी की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की

नकदी बरामदगी को लेकर घिरते दिख रहे जस्टिस वर्मा, वीडियो और नकदी नहीं मिलने के डीएफएस के दावे के विरोधाभासी

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने 22 मार्च की देर रात दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली के घर से मिली नकदी की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी। इसमें नकदी का वीडियो भी है। वीडियो न्यायमूर्ति वर्मा के आवास के उस कमरे का है, जहां 14 मार्च को आग लग गयी थी। वीडियो में दिख रहा है कि कमरे में चारों तरफ अधजले नोट ही नोट बिखरे हुए हैं। ये सभी पांच-पांच सौ रुपये की नोटों की गड्डियां हैं। कुछ गड्डियों में से धुंआ भी उठ रहा है। फायरब्रिगेड का एक कर्मचारी इन नोटों की गड्डियों को इधर-उधर कर देख रहा है कि कहीं कोई चिंगारी, तो नहीं रह गयी है, जिससे फिर आग लगने की आशंका न हो।

जस्टिस वर्मा के आवास से मिली नकदी के जले अंश

फोन के सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का निर्देश

न्यायमूर्ति वर्मा नकदी बरामदगी को लेकर घिरते दिख रहे हैं। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने शीर्ष न्यायालय के निर्देश पर न्यायमूर्ति वर्मा को अपने फोन के सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने को कहा है। न्यायमूर्ति पाध्याय ने उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के निर्देश पर न्यायमूर्ति वर्मा को अपने फोन के सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने को कहा है। इसमें बातचीत, मैसेज और डेटा शामिल हैं, क्योंकि उनके इर्द-गिर्द विवाद लगातार सामने आ रहा है।

रिपोर्ट और डीएफएस के दावे के विरोधाभासी

दिल्ली उच्च न्यायालय की जांच रिपोर्ट और उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किये गये इस वीडियो ने दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के प्रमुख अतुल गर्ग के इस दावे पर संदेह पैदा कर दिया है कि 14 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा के सरकारी आवास पर आग बुझाते समय अग्निशमन कर्मियों को कोई नकदी नहीं मिली थी। पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय को उपलब्ध कराया गया यह वीडियो शनिवार रात 25 पृष्ठों की रिपोर्ट के हिस्से के रूप में उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। इसके साथ ही शीर्ष न्यायालय ने वह दलील भी सार्वजनिक की है, जो न्यायमूर्ति वर्मा ने अपने बचाव में दी है।

गर्ग ने कहा था कि आवास से कोई नकदी नहीं मिली

गर्ग ने शुक्रवार को बताया था कि 14 मार्च को आग लगने की घटना के दौरान अग्निशमन कर्मियों को न्यायमूर्ति वर्मा के आवास से कोई नकदी नहीं मिली थी। उनका यह बयान दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की जांच रिपोर्ट गर्ग के बयानों के विरोधाभासी है। डीएफएस प्रमुख ने यह भी कहा था कि कंट्रोल रूम को न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर आग लगने की सूचना 14 मार्च को रात 11 बजकर 35 मिनट पर मिली थी और दो दमकल वाहनों को घटनास्थल पर रवाना किया गया था।

सबसे पहले पुलिस नियंत्रण कक्ष को फोन किया था

न्यायमूर्ति उपाध्याय की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस प्रमुख ने 16 मार्च को उन्हें बताया कि न्यायमूर्ति वर्मा के निजी सचिव ने न्यायाधीश के आवास पर आग लगने की घटना की सूचना देने के लिए सबसे पहले पुलिस नियंत्रण कक्ष को फोन किया था और डीएफएस को अलग से सूचित नहीं किया गया था। न्यायमूर्ति उपाध्याय ने देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना को सौंपी गयी अपनी शुरुआती रिपोर्ट में कहा है कि अग्निशमन सेवा को अलग से सूचित नहीं किया गया था हालांकि पीसीआर से संपर्क किये जाने के बाद आग से संबंधित सूचना स्वत: दिल्ली अग्निशमन सेवा को भेज दी गयी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने अब तक उठाये ये कदम

शीर्ष न्यायालय ने शुक्रवार को न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों पर संज्ञान लिया था और साथ ही उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा को दिल्ली उच्च न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का कथित तौर पर फैसला किया था। सीजेआई ने शनिवार को न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की और निर्देश दिया कि उन्हें कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाये। न्यायमूर्ति उपाध्याय की रिपोर्ट सीजेआई को सौंपे जाने के बाद जांच का आदेश दिया गया। जांच समिति में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी एस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनु शिवरामन शामिल हैं। बताया जाता है कि न्यायमूर्ति उपाध्याय ने 20 मार्च को कॉलेजियम की बैठक से पहले ही जांच शुरू कर दी थी।

मुझे फंसाने और बदनाम करने की साजिश : जस्टिस वर्मा

न्यायमूर्ति वर्मा ने स्पष्ट किया है कि घर के स्टोर रूम में न तो उन्होंने और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य ने कभी नकदी रखी थी। उन्होंने नकदी बरामदगी संबंधी विवाद में अपने ऊपर लगे आरोपों को जोरदार तरीके से खंडन किया है। दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को सौंपे गये अपने जवाब में न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा है कि उनके आवास से नकदी मिलने के आरोप स्पष्ट रूप से ‘उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश’ है। उन्होंने कहा कि यह विचार या सुझाव कि यह नकदी हमारे द्वारा रखी गयी थी, पूरी तरह से बेतुका है। यह सोच कि कोई व्यक्ति स्टाफ क्वार्टर के पास या आउटहाउस में खुले, आसानी से सुलभ और आम तौर पर इस्तेमाल किये जाने वाले स्टोररूम में नकदी रखेगा, अविश्वसनीय है।

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