नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश विक्रम नाथ ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कार्बन उत्सर्जन पर लगाम लगाने और हरित प्रौद्योगिकियों में निवेश करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए शनिवार को कहा कि बच्चों का ऐसे वातावरण में बड़ा होना अस्वीकार्य है, जहां उन्हें खुले में खेलने के लिए मास्क पहनने की जरूरत पड़े।
समाधान तलाशने की जरूरत है
न्यायमूर्ति नाथ ने यह भी कहा कि ऐसे समाधान तलाशने की जरूरत है जो आर्थिक विकास और पर्यावरणीय भलाई के बीच संतुलन कायम करें तथा सरकारी नीतियों को हरित प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
भारत की राजधानी में प्रदूषण का स्तर अक्सर बहुत ज्यादा
न्यायमूर्ति नाथ ने यहां विज्ञान भवन में पर्यावरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन-2025 के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की राजधानी में प्रदूषण का स्तर अक्सर बहुत ज्यादा रहता है। उन्होंने कहा कि यह तत्काल कार्रवाई के लिए आह्वान है, यह संकेत है कि हमें उत्सर्जन पर लगाम लगाने, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में निवेश करने और टिकाऊ परिवहन विकल्पों के बारे में सोचने के लिए एक साथ आना चाहिए, जिससे हम जिस हवा में सांस लेते हैं, उससे समझौता किए बिना आर्थिक प्रगति संभव हो सके। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।
जल प्रदूषण प्रमुख चिंता
न्यायमूर्ति नाथ ने जल प्रदूषण को एक अन्य प्रमुख चिंता करार दिया और कहा कि कई पवित्र एवं प्राचीन नदियों में अनुपचारित अपशिष्ट फेंका या बहाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक अपशिष्ट का उपचार करना, अपजल शोधन के बुनियादी ढांचे को बढ़ाना और स्थानीय समुदायों को नदी के किनारों पर सफाई बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करना बेहद जरूरी है।