सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : हाई कोर्ट के जस्टिस तीर्थंकर घोष ने शहीद दिवस के दिन पुलिस की भूमिका को जम कर सराहा। ट्रैफिक नियंत्रण के मामले में पुलिस सफल रही है। पर जस्टिस घोष ने बार की भूमिका पर मायूसी जताते हुए कहा एक दिन का कार्यदिवस बिलावजह नष्ट हो गया। बार एसोसिएशन ने 21 जुलाई के दिन के नो एडवर्स ऑर्डर का प्रस्ताव पास किया था। यानी आज के दिन अगर दूसरा पक्ष उपस्थित नहीं हो तो उसके खिलाफ कोई आदेश नहीं दिया जाएगा।
जस्टिस घोष ने शुक्रवार को आदेश दिया था कि शहीद दिवस के दिन सुबह आठ बजे के बाद कोई रैली नहीं निकाली जाएगी। इस दौरान जो लोग आ गए हैं उनका प्रबंधन नौ बजे तक किया जाएगा। इसके बाद ग्यारह बजे तक रैली निकाले जाने पर रोक लगी थी। जस्टिस घोष ने सुबह साढ़े दस बजे कोर्ट में आते ही कहा कि हांलाकि यह एक कठिन काम था पर पुलिस इसमें कामयाब रही है। कोर्ट में उपस्थित एक एडवोकेट ने कहा कि अलीपुर से हाई कोर्ट तक आने में रोजाना जैसा ही समय लगा। औरों ने भी कमोबेश इसी तरह के अनुभव की बात कही। जस्टिस घोष ने कहा कि वे तो अक्सर कोलकाता पुलिस पर भरोसा करने की बात कहते रहते हैं। दूसरी तरफ कोर्ट कमोबेश खाली खाली ही था। एडवोकेट नहीं आए थे। जस्टिस घोष ने कहा कि बार ने नो एडवर्स ऑर्डर का प्रस्ताव पास करते हुए चीफ जस्टिस को पत्र दिया है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि मामलों की सुनवायी आगे नहीं बढ़ पा रही है। यहां गौरतलब है कि इस बाबत दायर पीटिशन में हाई कोर्ट आने में दिक्कत का हवाला दिया गया था। इसके बावजूद हाई कोर्ट खाली ही था। एकाध कोर्ट में ही कुछ देर तक मामलों की सुनवायी हुई। यहां तक कि जस्टिस घोष के कोर्ट में भी दो तीन मामलों भर की सुनवायी हुई। जस्टिस घोष ने कहा कि एडवोकेट कोर्ट आ सकते थे।