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न्यायिक अधिकरण ने उल्फा पर प्रतिबंध बढ़ाने की पुष्टि की

म्यांमार में समूह के 200-250 सदस्य होने की आशंका

नई दिल्ली : सरकार ने एक न्यायिक अधिकरण के समक्ष कहा है कि पिछले 35 वर्षों से प्रतिबंधित संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के म्यांमार में लगभग 200-250 सदस्य हैं तथा वर्तमान में उसके पास लगभग 200 हथियार होने की आशंका है। अधिकरण ने उग्रवादी समूह पर प्रतिबंध और पांच वर्ष के लिए बढ़ाये जाने की पुष्टि की है।

उल्फा की गतिविधियों के बारे में दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किये जाने के बाद गुवाहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति माइकल जोथानखुमा के नेतृत्व वाले अधिकरण ने 21 मई को पुष्टि की कि उल्फा और उसके सभी गुटों, शाखाओं और मुखौटा संगठनों को 27 नवंबर, 2024 से पांच साल के लिए ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण मौजूद हैं। अधिकरण का गठन यह निर्णय करने के लिए किया गया था कि क्या उल्फा तथा उसके सभी गुटों, शाखाओं और मुखौटा संगठनों को गैरकानूनी संगठन घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं। सुनवायी के दौरान सरकारी प्रतिनिधियों ने अधिकरण के समक्ष कहा कि परेश बरुआ के नेतृत्व वाला उल्फा ‘संप्रभु’ असम की मांग करता है और इस लक्ष्य को सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से प्राप्त करना चाहता है।

गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार अधिकरण को बताया गया है कि फिलहाल उल्फा के अधिकांश सदस्य या नेता म्यांमार में ही हैं और वहां चार बड़े शिविर चलाते हैं। उल्फा परिचालन और रसद उद्देश्यों के लिए अन्य भारतीय विद्रोही समूहों के साथ भी संबंध बनाये रखता है। असम सरकार ने यह भी बताया है कि पिछले पांच वर्षों में उल्फा के 56 सदस्यों के साथ-साथ 177 ‘फ्रंटमैन (दिखावटी प्रतिनिधि)’, ‘ओवर ग्राउंड वर्कर’ (सहयोगी), समर्थक या सहानुभूति रखने वालों को भी गिरफ्तार किया गया, जबकि 63 सदस्यों ने अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

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