बीजिंग : शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ व्यापक वार्ता के दौरान कहा कि पिछले 9 महीनों में द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में हुई ‘अच्छी प्रगति’ हुई है, अब चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने पर ध्यान देना चाहिए। बैठक में जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध इस आधार पर ‘सकारात्मक प्रक्षेप पथ’ पर उत्तरोत्तर बढ़ सकते हैं कि भारत और चीन के बीच मतभेद विवाद में नहीं बदलना चाहिए और न ही प्रतिस्पर्धा संघर्ष का रूप लेना चाहिए। जयशंकर ने ‘प्रतिबंधात्मक’ व्यापारिक कदमों और ‘बाधाओं’ से बचने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उनका स्पष्ट इशारा चीन द्वारा महत्वपूर्ण खनिजों के निर्यात पर रोक लगाने से था।
दूरदर्शी पहल की जरूरत : जयशंकर ने कहा कि हम अपने संबंधों के सिलसिले में दूरदर्शी पहल करें। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2024 में कजान में हमारे नेताओं की बैठक के बाद से, भारत-चीन संबंध धीरे-धीरे सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हमारी ज़िम्मेदारी इस गति को बनाए रखने की है। जयशंकर 23 अक्टूबर को कजान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक का जिक्र कर रहे थे, जिसमें गलवान घाटी में हुई झड़पों से प्रभावित द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के लिए दोनों पक्षों के बीच विभिन्न वार्ता प्रणालियों को बहाल करने का निर्णय लिया गया था। विदेश मंत्री ने कहा कि हमने अपने द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में पिछले नौ महीने में काफी प्रगति की है। यह सीमा पर तनाव के समाधान और शांति बनाये रखने की हमारी क्षमता का परिणाम है।
चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग से भी मुलाकात की
जयशंकर ने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से भी मुलाकात की और उनसे कहा कि भारत-चीन संबंधों के निरंतर सामान्य बने रहने से पारस्परिक रूप से लाभकारी परिणाम प्राप्त हो सकते हैं और ‘जटिल’ वैश्विक स्थिति के मद्देनजर दोनों पड़ोसी देशों के बीच विचारों का खुला आदान-प्रदान महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली की भारत में भी व्यापक रूप से सराहना की जा रही है। हमारे संबंधों के निरंतर सामान्य होने से पारस्परिक रूप से लाभकारी परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।