नई दिल्ली - इजरायल और ईरान के बीच सैन्य टकराव अब बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच चुका है। गुरुवार रात से दोनों देशों के बीच ड्रोन हमले जारी हैं। अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि इजरायल की कार्रवाई में उसकी कोई भूमिका नहीं है। इस तनाव को कम करने के लिए कई देशों ने मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा है। इसी दौरान *द जेरूसलम पोस्ट* की रिपोर्ट में बताया गया है कि ईरान ने ओमान और कतर से अनुरोध किया है कि वे मध्यस्थ की भूमिका निभाएं। ईरान चाहता है कि अमेरिका के साथ उसकी परमाणु वार्ताएं दोबारा शुरू हों और इजरायल के हमलों को रोका जा सके।
इजरायल ने ईरान के गैस फील्ड को किया तबाह
पिछले तीन दिनों में हुए सैन्य संघर्ष में ईरान को भारी क्षति उठानी पड़ी है। इजरायल ने ईरान की एक प्रमुख गैस क्षेत्र — जो दुनिया की सबसे बड़ी गैस फील्ड में से एक मानी जाती है — पर हमला किया, जिससे वहां आग लग गई और गैस उत्पादन ठप करना पड़ा। इस हिंसा में अब तक ईरान के 138 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि इजरायली हमलों में 9 वैज्ञानिकों की भी जान चली गई है। इस टकराव ने वैश्विक स्तर पर देशों को दो धड़ों में बांट दिया है — अधिकांश इस्लामिक राष्ट्र ईरान का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कई अन्य देश इजरायल के पक्ष में खड़े हैं।
इजरायल ने ईरान पर क्यों किया हमला?
इस सैन्य कार्रवाई को इजरायल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ नाम दिया है। इजरायल और अमेरिका, दोनों इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि वे किसी भी कीमत पर ईरान को परमाणु कार्यक्रम में कामयाब नहीं होने देंगे। इजरायल का कहना है कि अगर ईरान परमाणु बम बना लेता है, तो यह उसके लिए गंभीर खतरा बन जाएगा। उनका तर्क है कि ईरान अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल इजरायल को पूरी तरह खत्म करने के इरादे से कर सकता है।