टॉप न्यूज़

बीमा कंपनियां मार्ग बदले जाने का हवाला देकर मुआवजे से मना नहीं कर सकतीं: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की बीमा कंपनी की अपील

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बीमा कंपनियां दुर्घटना पीड़ितों को मुआवजा देने से सिर्फ इसलिए इनकार नहीं कर सकतीं कि वाहन का मार्ग बदला गया था और यह परमिट का उल्लंघन था।

बीमा कंपनी ने की न्याय की अनदेखी

न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा के पीठ ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बीमा पॉलिसी का उद्देश्य मालिक या संचालक को ऐसी अप्रत्याशित या दुर्भाग्यपूर्ण घटना होने पर प्रत्यक्ष उत्तरदायित्व से बचाना है। पीठ ने कहा कि केवल इसलिए पीड़ित या पीड़ित के आश्रितों को मुआवजा देने से इनकार करना कि दुर्घटना परमिट सीमा के बाहर हुई और इसलिए बीमा पॉलिसी के दायरे से बाहर है, न्याय की भावना के लिए अपमानजनक होगा। बीमा कंपनी को निश्चित रूप से भुगतान करना चाहिए। पीठ ने वाहन मालिक और बीमा कंपनी ‘द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड’ द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

क्या था मामला?

सात अक्टूबर 2014 को एक मोटरसाइकिल चालक को तेज गति व लापरवाही से चलाये जा रहे वाहन ने टक्कर मार दी थी जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गयी थी। मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने ब्याज सहित 18.86 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था। मुआवजे की राशि से असंतुष्ट होकर याची ने कर्नाटक हाई कोर्ट में इस आधार पर अपील दायर की कि न्यायाधिकरण ने मुआवजे की गणना सही ढंग से नहीं की थी। बीमा कंपनी ने न्यायाधिकरण के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी कि बीमाकर्ता ने पॉलिसी में उल्लिखित शर्तों का उल्लंघन किया है। हाई कोर्ट ने बीमा कंपनी को न्यायाधिकरण द्वारा पारित निर्णय पर अमल का निर्देश दिया तथा बस के मालिक से राशि वसूलने का अधिकार दिया। बीमाकर्ता ने जहां पहले मुआवजा देने और बाद में मालिक से वसूली करने के हाई कोर्ट के निर्देश को चुनौती दी, वहीं मालिक ने उससे वसूली की अनुमति देने के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी।

SCROLL FOR NEXT