भारत को ग्रीन इकोनॉमी में लंबी छलांग लगानी चाहिएः अमिताभ कांत
ग्रीन इकोनॉमी भविष्य के ईंधन और संसाधनों को जुटाने में भी करेगी मददः अभिषेक जैन
सर्जना शर्मा
नई दिल्लीः आज सारी दुनिया में पर्यावरण सुधारने के लिए ग्रीन एनर्जी पर बात हो रही है। ग्रीन एनर्जी के साथ-साथ अब ग्रीन इकोनॉमी भी चर्चा में है। भारत की एक बड़ी पर्यावरण संस्था ,काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) ने ‘बिल्डिंग अ ग्रीन इकोनॉमी फॉर विकसित भारत’ रिपोर्ट दिल्ली में पेश की।
रिपोर्ट के अनुसार भारत 2047 तक सालाना 1.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (97.7 लाख करोड़ रुपये) की ग्रीन मार्केट की संभावनाएं खोल सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर यह अपनी तरह का पहला आकलन है, जो ऊर्जा गति परिवर्तन (एनर्जी ट्रांजिशन), सर्कुलर इकोनॉमी और बायो-इकोनॉमी और प्रकृति-आधारित समाधानों (नेचर बेस्ड सॉल्यूशंस) में 36 ग्रीन वैल्यू साधनों की पहचान करता है। ये संयुक्त रूप से विकसित भारत की यात्रा के लिए एक परिभाषित हरित आर्थिक अवसरों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
हरित अर्थव्यवस्था परिषद का गठन
ग्रीन इकोनोमी अध्ययन रिपोर्ट के लोकार्पणके अवसर पर अमिताभ कांत, पूर्व जी20 शेरपा, नीति आयोग के पूर्व सीईओ ने कहा कि, ”भारत तीन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था से आगे बढ़ रहा है, हम पश्चिम के विकास मॉडल का अनुसरण नहीं कर सकते हैं। हमारे अधिकांश बुनियादी ढांचे का निर्माण अभी बाकी है, इसलिए हमारे पास शहरों, उद्योगों और आपूर्ति श्रृंखलाओं को सर्कुलेरिटी, स्वच्छ ऊर्जा और बायो इकोनॉमी के आस-पास निर्माण करने का एक अनूठा अवसर मौजूद है। जिस तरह डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे ने भारत को तकनीकी रूप से आगे बढ़ने में सक्षम बनाया है, - सात वर्षों में वह हासिल किया जो दशकों में हो पाता - हमें अब ग्रीन इकोनॉमी में एक छलांग लगानी चाहिए। जहां दुनिया का अधिकांश हिस्सा पुरानी प्रणालियों में फंसा हुआ है, सर्कुलर और संसाधन-कुशल वैल्यू चेन्स पर निर्मित एक विकसित भारत एक नये विकास मार्ग को परिभाषित कर सकता है और हरित विकास के लिए एक वैश्विक बेंचमार्क स्थापित कर सकता है।" लोकार्पण के समय हरित अर्थव्यवस्था परिषद का गठन किया गया और अमिताभ कांत को परिषद का अध्यक्ष बनाया गया है।
ग्रीन इकोनॉमी से पैदा होगा रोजगार का अवसर
अभिषेक जैन, डायरेक्टर, ग्रीन इकोनॉमी एंड इम्पैक्ट इनोवेशन ने कहा, “ग्रीन इकोनॉमी की दिशा में आगे बढ़ना भारत के लिए न केवल नौकरियां और आर्थिक समृद्धि लाएगा, बल्कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भविष्य के ईंधन और संसाधनों को जुटाने में भी मदद करेगा।
भारत की कुछ राज्य सरकारें पहले से ही ग्रीन इकोनॉमी के निर्माण की दिशा में कदम उठाने की शुरुआत कर चुकी हैं। उदाहरण के लिए, ओडिशा ने ग्रीन इकोनॉमी काउंसिल और 16 विभागीय सचिवों को शामिल करते हुए एक समिति का गठन किया है, ताकि आर्थिक नियोजन में ग्रीन वैल्यू चेन्स को शामिल करने और हरित-नेतृत्व वाले विविधीकरण को बढ़ावा दिया जा सके।