नईदिल्लीः भारतीय अर्थव्यवस्था सरपट दौड़ रही है जिसका ताजा प्रमाण आज आये आंकड़े से मिला है। चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी जो पिछली छह तिमाहियों में सर्वाधिक है। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत रही थी। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत थी।
विनिर्माण क्षेत्र में 9.1 प्रतिशत की वृद्धि
जीडीपी का मतलब देश की सीमा के भीतर निश्चित अवधि में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य से है। जीएसटी दरों में कटौती के बाद खपत बढ़ने की उम्मीद में कारखानों ने उत्पादन तेज किया, जिससे वृद्धि दर में तेज उछाल देखी गई।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, आलोच्य तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र 9.1 प्रतिशत बढ़ा। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह वृद्धि मात्र 2.2 प्रतिशत थी। विनिर्माण क्षेत्र का देश की जीडीपी में 14 प्रतिशत योगदान है।
मूडीज ने सात फीसदी की वृद्धि का अनुमान जताया
हालांकि रुपया का कमजोर प्रदर्शन भारत के लिए चिंता की बात है, बावजूद इसके भारत की तरक्की जोरदार तरीके से जारी रहेगी। भारत 2025 में सात प्रतिशत और 2026 में 6.4 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि के साथ उभरते बाजारों और एशिया प्रशांत क्षेत्र में वृद्धि का नेतृत्व करेगा।
रेटिंग एजेंसी ‘मूडीज रेटिंग्स’ ने शुक्रवार को कहा कि वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत के घरेलू वृद्धि चालक इसकी आर्थिक मजबूती को बल देते हैं। हालांकि भारतीय रुपया, डॉलर के मुकाबले कमजोर होता जा रहा है लेकिन फिर भी अधिकतर ‘रेटेड’ कंपनियों के पास सक्रिय मुद्रा जोखिम प्रबंधन या मजबूत वित्तीय भंडार हैं।
भारत उभरते बाजारों और पूरे क्षेत्र में वृद्धि का नेतृत्व करेगा
रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘ भारत उभरते बाजारों और पूरे क्षेत्र में वृद्धि का नेतृत्व करेगा जिसकी जीडीपी 2025 में सात प्रतिशत और 2026 में 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी।’’
इसने अनुमान लगाया है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र (एपीएसी) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2026 में औसत 3.4 प्रतिशत पर स्थिर रहेगी। 2025 में इसके 3.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो 2024 में यह 3.3 प्रतिशत थी।
मूडीज ने कहा कि भारित औसत के आधार पर उभरते बाजार इस क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि को गति देंगे। इसकी औसत वृद्धि 5.6 प्रतिशत होगी जबकि उन्नत बाजारों में औसत वृद्धि 1.3 प्रतिशत रहेगी।