नई दिल्ली - चीन ने उन देशों को चेतावनी दी है जो अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौते करने की तैयारी में हैं। बीजिंग का कहना है कि ऐसे समझौते उसकी अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। अमेरिका और चीन के बीच जारी टैरिफ युद्ध के बीच चीन का यह बयान दोनों देशों के बीच बढ़ती तनातनी को दिखाता है। यह चेतावनी उस वक्त आई है जब रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन उन देशों पर दबाव बना रहा है जो अमेरिका से टैरिफ को लेकर बातचीत करना चाहते हैं, ताकि चीन के साथ उनके व्यापारिक संबंधों को सीमित किया जा सके।
टैरिफ वॉर के बीच चीन का जवाब
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अन्य देशों पर 10 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाया है, जबकि चीन को कुछ उत्पादों पर 145 प्रतिशत तक शुल्क चुकाना पड़ रहा है। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी सामानों पर 125 प्रतिशत तक का टैक्स लगा दिया है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि अब कई देश अमेरिका से टैरिफ में कटौती को लेकर बातचीत कर रहे हैं। वहीं, सोमवार को चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि वह उन देशों के अमेरिका से व्यापक आर्थिक समझौते करने का कड़ा विरोध करता है, जिनसे चीन के हितों को नुकसान पहुंच सकता है।
'तुष्टिकरण से शांति नहीं आएगी'
बीजिंग के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा कि तुष्टिकरण की नीति न तो शांति ला सकती है और न ही किसी समझौते का सम्मान सुनिश्चित कर सकती है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह का रवैया अंततः दोनों पक्षों के लिए नुकसानदायक होगा और अन्य देशों को भी इसकी मार झेलनी पड़ेगी। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यदि इस प्रकार का कोई समझौता किया गया, तो चीन इसे कतई स्वीकार नहीं करेगा और उसी स्तर पर कड़ा जवाब देगा, जैसा कदम अमेरिका ने उठाया है।
अमेरिका-चीन वॉर का दुनिया पर क्या होगा असर ?
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ के जवाब में वाशिंगटन और बीजिंग ने एक-दूसरे के आयातित सामानों पर भारी शुल्क थोप दिए हैं। इस टकराव ने दोनों आर्थिक महाशक्तियों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है, जिससे वैश्विक मंदी की आशंका गहराती जा रही है और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता फैल गई है।