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शक्ति हो तो प्रेम की भाषा भी सुनती है दुनिया : भागवत

मोहन भागवत ने दिया बयान

जयपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया प्रेम की भाषा तभी सुनती है जब देश शक्तिशाली हो। भारत विश्व का सबसे प्राचीन देश है तथा उसकी भूमिका बड़े भाई की है और वह दुनिया में शांति और सौहार्द के लिए कार्य कर रहा है।आरएसएस प्रमुख ने शनिवार को जयपुर के हरमाड़ा स्थित रविनाथ आश्रम में आयोजित रविनाथ महाराज की पुण्यतिथि के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही। भागवत ने कहा, भारत में त्याग की परंपरा रही है।

भगवान श्रीराम से लेकर भामाशाह को हम पूजते और मानते हैं। विश्व को धर्म सिखाना भारत का कर्तव्य है लेकिन इसके लिए भी शक्ति की आवश्यकता होती है। पाकिस्तान पर भारतीय सेना की हालिया कार्रवाई की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, भारत किसी से द्वेष नहीं रखता लेकिन विश्व प्रेम और मंगल की भाषा भी तब ही सुनता है जब आपके पास शक्ति हो। यह दुनिया का स्वभाव है। इस स्वभाव को बदला नहीं जा सकता, इसलिए विश्व कल्याण के लिए हमें शक्ति संपन्न होने की आवश्यकता है। और हमारी ताकत विश्व ने देखी है।

उन्होंने कहा, विश्व कल्याण हमारा धर्म है, विशेषकर हिंदू धर्म का तो यह पक्का कर्तव्य है। यह हमारी ऋषि परंपरा रही है जिसका निर्वहन संत समाज कर रहा है। भागवत ने रविनाथ महाराज के साथ बिताए अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि उनकी करुणा से हम लोग जीवन में अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं। कार्यक्रम में भावनाथ महाराज ने मोहन भागवत को सम्मानित किया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

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