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धैर्य रख रही हूं लेकिन धैर्य की भी एक सीमा होती है...

लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ते रहेंगे और इसके लिए अपनी जान कुर्बान करने को भी तैयार हैं : सीएम

सबिता, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : सीएम ममता बनर्जी ने सोमवार को दुर्गा आंगन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि, ‘‘हम सभी जातियों, पंथों, धर्मों से प्रेम करते हैं। हमारी विचारधारा मानवता है। याद रखिए, मैं इसे सहन कर रही हूं, धैर्य रख रही हूं। लेकिन धैर्य की भी एक सीमा होती है। हम लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ते रहेंगे और इसके लिए अपनी जान कुर्बान करने को भी तैयार हैं।’’राज्य में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया पर भी चिंता जताई और आरोप लगाया कि इसके कारण लोगों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है तथा कुछ लोगों की जान भी गई है। उन्होंने दावा किया, ‘‘लोगों को बेवजह परेशान किया जा रहा है। (बंगाल में चार नवंबर को एसआईआर शुरू होने के बाद से) एक महीने के भीतर 50 से अधिक लोगों ने या तो आत्महत्या कर ली है या उनकी मौत हो गई है। हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते।’’ ममता बनर्जी ने पूछा कि नागरिकता और मतदान के अधिकार के बीच क्या संबंध है? उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई बांग्ला बोलता है, तो उसे होटलों में कमरे नहीं मिलते। अगर कोई बांग्ला बोलता है तो उसे बांग्लादेशी करार दिया जाता है। विभाजन से पहले हम सब एक साथ थे।’’ तृणमूल प्रमुख भाजपा शासित विभिन्न राज्यों में बांग्लादेशी होने के संदेह पर बंगाली भाषी मुसलमानों को कथित तौर पर धमकाने की घटनाओं का जिक्र कर रही थीं। न्यू टाउन में देवी दुर्गा को समर्पित एक सांस्कृतिक परिसर ‘दुर्गा आंगन’ की आधारशिला रखने के लिये आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, वह सभी धर्मों के कार्यक्रमों में भाग लेती हैं। ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘जब मैं गुरुद्वारे जाती हूं, तो आप कुछ नहीं कहते, लेकिन जब मैं ईद के कार्यक्रम में जाती हूं, तो मेरी आलोचना करने लगते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं गुरुद्वारे जाती हूं, तो मैं अपने सिर को दुपट्टे से ढक लेती हूं। अगर मैं रमज़ान के दौरान किसी कार्यक्रम में जाती हूं, तो मुझे ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए? आज मैं यहां हूं, इसलिए मैंने अपने आप को दुपट्टे से ढक लिया है।’’

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