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रंगों का पर्व होली होगा UNESCO की लिस्ट में शामिल

होली को वैश्विक पहचान दिलाने की ओर बढ़ा कदम

नई दिल्ली - भारत में वैसे तो साल भर में कई त्योहार आते हैं पर इनमें होली और दीपावली काफी खास है। इसके बाद भी इन्हें अब तक वैसी श्विक पहचान नहीं मिली है। हालांकि अब जाकर इन दो त्योहारों को वैश्विक पहचान ​दिलाने की को​शिश तेज हुई है। आपको बता दें कि संस्कृति मंत्रालय दीपावली के साथ होली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजने की तैयारी में है। इसके लिए अभी जरूरी दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं। इनमें होली के मौके पर गाए जाने वाले फाग लोकगीत को भी शामिल किया जाएगा।

कुछ दिनों में भेजा जाएगा प्रस्ताव

कुछ महीने पहले ही संस्कृति मंत्रालय ने दीपों के पर्व दीपावली को यूनेस्को की आईसीएच की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा था। अब सूत्रों के मुताबिक रंगों के पर्व होली को भी शामिल करने का प्रस्ताव कुछ ही दिनों में भेजा जाएगा।

मथुरा, वृंदावन और बरसाना की होली है सबसे प्रसिद्ध

होली प्रेम उल्लास और भाईचारे का त्योहार है। होली देश में अलग-अलग स्वरूपों में मनाया जाता है। इनमें प्रमुख हैं मथुरा, वृंदावन व बरसाना की होली। वर्तमान में यूनेस्काे की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में करीब 145 देशों के 730 से अ​धिक अमूर्त विरासतें शामिल है।

यूनेस्को की आईसीएच सूची में अभी ये मेले और त्योहार है शामिल -

1.महाकुंभ मेला: प्रत्येक 12 वर्ष में किया जाता है आयोजित

2.दुर्गा पूजा: कोलकाता की वार्षिक दुर्गा पूजा

3.गरबा नृत्य: गुजरात का एक पारंपरिक नृत्य। 2023 में इसे शामिल किया गया।

4.वैदिक जप की परंपरा: वैदिक मंत्रों के उच्चारण की एक प्राचीन परंपरा। रामलीला: रामायण के प्रदर्शन का एक रूप।

5.कुटियाट्टम: संस्कृत थियेटर का एक रूप

6.रम्माण: गढ़वाल हिमालय के धार्मिक उत्सव और परंपरा का मंचन

7.छऊ नृत्य: पुरुलिया, सरायकेला और मयूरभंज में छऊ नृत्य।

8.मुदियेट्टू: केरल का सांस्कृतिक थियेटर और नृत्य नाटक।

9.कालबेलिया: राजस्थान के कालबेलिया समुदाय के लोक गीत और नृत्य।

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