सर्जना शर्मा
नयी दिल्ली ः भारत के 734 जिले और लगभग 76% आबादी बढ़ती गर्मी और लू के खतरे से जूझ रही है। गर्मी का सबसे ज्यादा सितम दिल्ली, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश झेल रहे हैं। एक दशक से अब केवल दिन ही नहीं रातें भी बहुत गर्म होने लगी हैं। ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) ने जलवायु परिवर्तन, बढ़ती गर्मी का भारत पर प्रभाव जानने के लिए गहन देशव्यापी सर्वे किया। अध्ययन के अनुसार पिछले 40 वर्ष में साल 1981 से लेकर 2022 तक गर्मी बहुत ज्यादा पड़ने लगी है। विशेषकर 2013, 2016, 2019, 2022 बहुत गर्म साल रहे। पिछले वर्ष 2024 में तो गर्मी ने बहुत से रिकॉर्ड तोड़ दिए। देश के 70 फीसदी जिलों में मार्च से लेकर जून तक कम से कम 5 और उससे अधिक रातें दिन की तुलना में ज्यादा गर्म हो रही हैं। घनी आबादी वाले शहरों में जैसे कि मुंबई, बेंगलुरु, भोपाल, जयपुर, दिल्ली और चेन्नई में पिछले एक दशक में गर्म रातों की संख्या बढ़ रही है।
साल 2024 में 44,000 हीट स्ट्रोक : पिछले वर्ष 2024 में देश भर में 44,000 हीट स्ट्रोक केस रिपोर्ट किए गए थे। गर्मी के कारण बिजली की खपत चरम पर पहुंच जाती है। फसलों को नुकसान हो रहा है। जल संकट पैदा हो रहा है। उत्पादकता में गिरावट आ रही है। अध्यन में तो आशंका जताई है कि साल 2030 तक 4.5% जीडीपी हानि और 3.5 करोड़ पूर्णकालिक नौकरियों का नुकसान हो सकता है। गृह मंत्रालय ने 2024 की गर्मी को देख हीटवेव को राज्य आपदा आर्थिक कोष में जोड़ दिया था, ताकि इस फंड का प्रयोग शीतल आशियाने बनाने, हरियाली बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जा सके। अब परिषद ने भी गर्मी बीमा करवाने का सुझाव दिया है।
यह है गर्मी बढ़ने का कारण
इस बदलाव का मुख्य कारण शहरों को कंक्रीट के जंगलों में बदलते जाना है और आबादी का बहुत ज्यादा दबाव है। रियल एस्टेट के कारण जंगल, बाग-बगीचे, खेत-खलिहान खत्म होते जा रहे हैं। क्रंकीट दिन में गर्मी सोखता है और रात को छोडता है इसलिए दूसरी-तीसरी श्रेणी के शहरों जैसे कि पुणे, कोल्हापुर, मैसूर, गुरूग्राम, अजमेर और गुवाहाटी जैसे शहरों में भी रातें गर्म होने लगी हैं। हिमाचल, जम्मू कश्मीर व उत्तराखंड में भी गर्मी बढ़ी है।