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हिंदी मुखौटा है, संस्कृत छिपा हुआ चेहरा है : स्टालिन

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने हिंदी थोपने के खिलाफ उठाई आवाज

कोलकाता: केंद्र द्वारा कथित तौर पर हिंदी थोपे जाने के खिलाफ अपना अभियान तेज करते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने गुरुवार को फिर कहा कि राज्य इस भाषा को ‘थोपने’ की इजाजत नहीं देगा और उन्होंने तमिलों एवं इसकी संस्कृति की रक्षा करने का संकल्प जताया।

सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के प्रमुख ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित एक पत्र में उन्होंने कहा कि हम हिंदी थोपने का विरोध करेंगे। हिंदी मुखौटा है, संस्कृत छिपा हुआ चेहरा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में तीन-भाषा फार्मूले के माध्यम से हिंदी को थोपने की कोशिश कर रहा है।

पत्र में स्टालिन ने दावा किया कि बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बोली जाने वाली मैथिली, ब्रजभाषा, बुंदेलखंडी और अवधी जैसी कई उत्तर भारतीय भाषाओं को ‘आधिपत्यवादी हिंदी’ ने नष्ट कर दिया है। स्टालिन ने कहा कि आधिपत्यवादी हिंदी-संस्कृत भाषाओं के हस्तक्षेप से 25 से अधिक उत्तर भारतीय मूल भाषाएं नष्ट हो गयी हैं।

जागरूकता के कारण सदियों पुराने द्रविड़ आंदोलन और विभिन्न आंदोलनों ने तमिलों और उनकी संस्कृति की रक्षा की।भाजपा के इस दावे कि एनईपी के अनुसार तीसरी भाषा विदेशी भी हो सकती है, का जवाब देते हुए स्टालिन ने दावा किया कि त्रिभाषा नीति कार्यक्रम के अनुसार कई राज्यों में केवल संस्कृत को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा शासित राजस्थान उर्दू प्रशिक्षकों के बजाय संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति कर रहा है।

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