सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : मुर्शिदाबाद में पिछले दिनों हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले की वृहस्पतिवार को सुनवायी करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस सौमेन सेन ने कहा कि राज्य सरकार को और सख्ती के साथ पुलिस पर लगाम कसना चाहिए। उनके साथ जस्टिस राजा बसु चौधरी भी थे। जस्टिस सेन ने तीन सदस्यों वाली कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि प्रशासन की भूमिका की सराहना की गई है। लोगों की सर्वाधिक शिकायतें पुलिस वालों के खिलाफ है। राज्य सरकार की तरफ से गठित सिट की तरफ से भी रिपोर्ट दाखिल की गई। इसके साथ ही आदेश दिया है कि सेंट्रल फोर्स अभी तैनात रहेगी।
जस्टिस सेन ने कहा कि मुर्शिदाबाद में पुलिस वालों की संख्या काफी कम है। अगर पर्याप्त मात्रा में पुलिस के जवान होते तो शायद यह स्थिति नहीं बनती। इसके साथ ही जस्टिस सेन ने कहा कि राज्य के प्रत्येक जिले में पुलिस की संख्या काफी कम है। इस पर राज्य सरकार की तरफ से बहस कर रहे सीनियर एडवोकेट कल्याण बनर्जी ने कहा कि पूरे देश में यही स्थिति है, बंगाल कोई अपवाद नहीं है। यहां गौरतलब है कि मुर्शिदाबाद की स्थिति की रिपोर्ट देने के लिए हाई कोर्ट ने तीन सदस्यों की एक कमेटी बनायी थी। इसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग और हाई कोर्ट के लीगल सर्विसेस सेल के एक एक सदस्यों को शामिल किया गया था। एडवोकेट प्रियंका टिबड़ेवाल ने दंगे से प्रभावित लोगों कों मुआवजा दिए जाने का सवाल उठाया तो एडवोकेट बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार ने मुआवजा दिया है। जस्टिस सेन ने कहा कि मुआवजे की यह रकम उन्हें नाकाफी लग सकती है। उनका मकान और जीविका का साधन जल कर राख हो गया है। इसलिए उन्हें नुकसान के मुकाबले मुआवजे की यह रकम नाकाफी लग सकती है। जस्टिस सेन ने आदेश दिया कि इस बारे में एक गाइड लाइन बनायी जाए। इसके आधार पर मुआवजे की राशि तय की जाए। एडवोकेट बनर्जी ने कहा कि बांग्लार बाड़ी प्रकल्प के तहत मकान बनाने के लिए मदद की गई है। जस्टिस सेन ने राज्य सरकार और सिट को अगली सुनवायी में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। पीटिशनरों की तरफ से इस मामले की एनआईए जांच कराये जाने का आदेश देने की अपील की गई है। एनआईए के एडवोकेट अरुण माइती ने कहा कि अगर कोर्ट का आदेश मिले तो एनआईए जांच के लिए तैयार है। इसकी अगली सुनवायी जुलाई में होगी।