सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : रेप की शिकार एक छह वर्षीया बच्ची को चाइल्ड वेलफेयर होम में रखा गया है। उसे उसकी मां के पास क्यो नहीं रखा गया है। जस्टिस तीर्थंकर घोष ने मंगलवार को इस मामले की सुनवायी करते हुए राज्य सरकार के एडवोकेट से यह सवाल किया। जस्टिस घोष ने पिछली सुनवायी में पुलिस को इस मामले की सीडी कोर्ट में दाखिल करने का आदेश दिया था। सीडी पर गौर करने के बाद जस्टिस घोष ने पुलिस से कई सवालों का जवाब मांगा।
एडवोकेट संयुक्ता सामंत ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पिछली सुनवायी में जस्टिस घोष ने पुलिस की तरफ से दाखिल रिपोर्ट पर बेहद नाखुशी जतायी थी। जस्टिस घोष ने कहा था कि रिपोर्ट में काफी अंतर्विरोध है। जस्टिस घोष के इस सवाल पर कि लड़की को होम में क्यों रखा गया है राज्य सरकार के एडवोकेट की दलील थी कि लड़की ट्रोमा में है इसलिए उसे होम में रखा गया है। जस्टिस घोष का सवाल था कि क्या उसे उसकी मां के पास रखा जाना ज्यादा मुनासिब नहीं होगा। इसके जवाब में सरकारी एडवोकेट की दलील थी कि मां अपने पति का बचाव कर रही है। यहां गौरतलब है कि पुलिस ने लड़की के पिता को ही बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया है और वह अभी भी जेल हिरासत में है। इस पर जस्टिस घोष का सवाल था कि क्या उसकी मां का बयान रिकार्ड कराया गया है। जवाब में कहा गया कि नहीं बयान रिकार्ड नहीं कराया गया है। यह घटना हावड़ा के सांकराइल थाने के अंतर्गत एक ईट भट्टा के पास घटी थी। एडवोकेट सामंत ने बताया कि अभी भी पुलिस ने घटना स्थल के पास से गवाहों का बयान रिकार्ड नहीं कराया है। रेप की इस घटना के बाद लड़की को हावडा के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया था। जस्टिस घोष का सवाल था कि निजी अस्पताल के बजाए सरकारी अस्पताल में क्यों नहीं ले जाया गया था। इसके जवाब में सरकारी एडवोकेट की दलील थी कि यह अस्पताल नजदीक था इसलिए वहां ले जाया गया था। जवाब से यह भी खुलासा हुआ कि लड़की का पिता और कुछ महिला पुलिस लड़की को निजी अस्पताल में ले गए थे। जस्टिस घोष ने इस मामले में पुलिस को विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।