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कोई बकाया नहीं है का प्रमाणपत्र पाने के लिए भी हाई कोर्ट में

ब्याज के साथ पेंशन भुगतान का आदेश चार साल तक लड़ना पड़ा मुकदमा

सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : एक सेवानिवृत्त हेडमास्टर को कोई बकाया नहीं प्रमाणपत्र पाने के लिए भी हाई कोर्ट में रिट दायर करनी पड़ी है। यह प्रमाणपत्र सेवानिवृत्ति के समय स्कूल की तरफ से दिया जाता है। इसके नहीं होने का हवाला देते हुए पीटिशनर की पेंशन रोक दी गई थी। जस्टिस राई चट्टोपाध्याय ने मामले की सुनवायी के बाद ब्याज के साथ पेंशन का भुगतान किए जाने का आदेश दिया है। उन्होंने इसके लिए समय भी तय कर दिया है। जस्टिस चट्टोपाध्याय ने कहा है कि अधिकतम दस दिनों के अंदर यह प्रक्रिया पूरी करनी पड़ेगी।

एडवोकेट इकरामुल बारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि तपन कुमार घोष ने यह पीटिशन दायर किया है। जस्टिस चट्टोपाध्याय ने अपने आदेश में स्कूल कमेटी की इस कार्यवाही को विवेकहीन बताते हुए कहा है कि यह मनमर्जी से लिया गया फैसला है। यह अवैधानिक भी है। स्कूल कमेटी को आदेश दिया है कि कोई बकाया नहीं प्रमाणपत्र तत्काल दिया जाए। इसके साथ ही पेंशन कानून के तहत पेंशन जारी की जाए। जस्टिस चट्टोपाध्याय ने कहा है कि दस दिनों के अंदर इस कार्यवाही को पूरी करनी पड़ेगी। बकाया पेंशन पर 2021 के 20 अप्रैल से राष्ट्रीयकृत बैंक की ब्याज दर से ब्याज अदा करना पड़ेगा। आदेश की कापी मिलने के बाद दो माह के अंदर भुगतान करना पड़ेगा। एडवोकेट बारी ने बताया कि पीटिशनर एक स्कूल में हेडमास्टर थे और 2020 में 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो गए थे। नियम के मुताबिक उसी दिन से पेंशन शुरू हो जानी थी। पीटिशनर हेडमास्टर के खिलाफ स्कूल की तरफ से कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई भी नहीं की गई थी। ऑडिट रिपोर्ट में भी हेडमास्टर के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की गई थी। स्कूल कमेटी ने अपनी साख को बचाने के लिए पीटिशनर के खिलाफ गलत आरोप लगाया है। इसकी कोई बुनियाद नहीं है। लिहाजा पेशन भुगतान करने का आदेश दिया जाता है।


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