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तकदीर का फैसला आने तक मौका देने की अपील

योग्य टीचरों ने दायर की हाई कोर्ट में रिटराज्य की दलील : दोनों हाथों में लड्डू कैसे

जितेंद्र, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : योग्य, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत बर्खास्त, टीचरों ने हाई कोर्ट में एक रिट दायर की है। उन्होंने अपील की है कि तकदीर का फैसला आने तक एक मौका दिया जाए। राज्य सरकार का सवाल है कि भला दोनों हाथों में लड्डू कैसे दे सकते हैं। पीटिशनरों ने इस मामले में उत्तर 24 परगना की दलील दी है। जस्टिस हिरणमय भट्टाचार्या ने कहा कि यह एक अनोखा मामला है। सोमवार को इस मामले की सुनवायी के बाद उन्होंने एक तकनीकी कारण का हवाला देते हुए कहा कि इसकी सुनवायी 31 दिसंबर को की जाएगी।

एकवोकेट शमीमुल बारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सुरजीत राय सहित 47 पीटिशनरों ने यह मामला दायर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2016 की एसएलएसटी को खारिज करते हुए आदेश दिया था कि योग्य टीचर अगर चाहे तो अपनी पुरानी नौकरी में वापस लौट सकते हैं। इसी के तहत इन 47 पीटिशनरों ने मालदह प्राइमर काउंसिल में पुरानी नौकरी पर वापस लौटने के लिए आवेदन किया था। काउंसिल ने इनका आवेदन मंजूर करते हुए 31 दिसंबर तक की ज्वायनिंग सीमा तय कर दी है। इन पीटिशनरों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत दूसरी एसएलएसटी में हिस्सा लिया था। उन्होंने इसे क्लालिफाई कर लिया है, और अब इंटरव्यू व पर्सनलिटी टेस्ट के नतीजे का इंतजार है। बर्खास्तगी के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत ये माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में अभी तक नौकरी कर रहे हैं। अगर प्राइमरी में वापस जाते हैं तो प्राइमरी के टीचर बन कर रह जाएंगे। इसलिए उनकी दलील है कि इंटरव्यू और पर्सनलिटी टेस्ट का परिणाम आने तक का मौका दिया जाए। अगर इसमें सफल रहे तो यहीं बने रह जाएंगे, अगर असफल रहे तो प्राइमरी में लौट जाएंगे। राज्य सरकार इसका विरोध कर रही हैं। पीटिशनरों ने उत्तर 24 परगाना की मिसाल दी है। वहां भी इसी तरह के मामले में 31 अगस्त तक की सीमा दी गई है। यहां गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने योग्य टीचरों की नौकरी की मियाद को 31 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया है। मालदह प्राइमरी काउंसिल के एडवोकेट के नहीं रहने के कारण अब इसकी सुनवायी 31 दिसंबर को होगी।


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