जितेंद्र, सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : मिड-डे मील के मामले एडिशनल सेशन जज ने एक अभियुक्त को बरी कर दिया था। कंपनी को यह फैसला रास नहीं आया। उसकी तरफ से हाई कोर्ट में रिवीजन पीटिशन दायर कर दिया गया। जस्टिस कृष्णा राव ने अपील को खारिज करते हुए कहा कि कोई मामला नहीं बनता है। जस्टिस राव ने एडिशनल सेशन जज के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया।
नजरुल इस्लाम नामक एक कर्मचारी के खिलाफ दक्षिण दिनाजपुर के तापन थाने में एफआईआर दर्ज करायी गई थी। वह तपन कोऑपरेटिव एग्रिकल्चर मार्केटिंग सोसाइटी लि. के गोदाम में काम करता था। उसके खिलाफ आरोप था कि उसने शिशु शिक्षा केंद्र के मिड-डे मील के लिए दिए गए चावल में 232 क्विंटल की हेराफेरी की थी। पुलिस ने भी उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 409 के तहत चार्जशीट दाखिल कर दिया। एडिशनल सेशन जज ने 2011 में 30 जुलाई को सुनाये गए अपने फैसले में कहा था कि आईपीसी की धारा 409 के तहत कोई मामला नहीं बनता है। इसके साथ ही उसे सभी अन्य आरोपों से बरी कर दिया था। सेशन जज ने अपने फैसले में कहा था कि इस धारा के तहत मामला सिर्फ जन प्रतिनिधि के खिलाफ दायर किया जाता है। कोऑपरेटिव सोसाइटी के कर्मचारी जनप्रतिनिधि नहीं होते हैं। जस्टिस राव ने अपने फैसले में कहा है कि एडिशनल सेशन जज ने सभी तथ्यों और दस्तावेजों पर गौर करने के बाद सही फैसला सुनाया है। प्रोसिक्यूशन यह साबित करने में नाकाम रहा है कि अभियुक्त के खिलाफ आईपीसी की धारा 409 के तहत मामला बनता है। प्रोसिक्यूशन ने न तो निरीक्षण रिपोर्ट दाखिल किया है और न ही स्टॉक रजिस्टर पेश किया है जिससे यह साबित हो कि चावल में हेराफेरी की गई थी।