जितेंद्र, सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : मनी लांडरिंग के एक मामले के अभियुक्त को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई। उसके खिलाफ 77 करोड़ रुपए का फ्राड किए जाने का आरोप है। उसकी तरफ से जमानत याचिका दायर की गई थी। जस्टिस शुभ्रा घोष ने अभियुक्त को जमानत पर रिहा किए जाने का आदेश दिया। ईडी ने जमानत दी जाने का विरोध करते हुए फरारी की आशंका जतायी। इसके बाद ही जस्टिस घोष ने जमानत के साथ कुछ कठिन शर्तें लगा दी।अभियुक्त के खिलाफ हेयर स्ट्रीट थाने में एफआईआर दर्ज करायी थी।
एडवोकेट विक्रम मित्रा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि विराज सुहास पाटिल ने जमानत याचिका दायर की थी। अभियुक्त के खाते से एक ही माह के अंदर बड़े पैमाने पर क्रेडिट किए जाने को देखते हुए बैंक ने आशंका जतायी थी। इसके बाद ही मामले का खुलासा हुआ था। बचाव पक्ष के मुताबिक उसे 2023 में 24 दिसंबर को हिरासत में लिया गया था, लेकिन उसकी गिरफ्तारी अगले साल आठ जनवरी को दिखाई गई थी। ईडी की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट की दलील थी कि अभियुक्त को एलओसी जारी करने के बाद ही गिरफ्तार किया जा सका था। अभियुक्त की तरफ से एडवोकेट सब्यसाची बनर्जी ने पैरवी की थी। जस्टिस घोष ने कहा कि इस मामले में सारे गवाह अफसर हैं और दस्तावेज ईडी के पास हैं। लिहाजा उनके साथ छेड़छाड़ की जाने की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि पीटिशनर 2023 के दिसंबर से हिरासत में है, जांच पूरी हो चुकी है और अभी ट्रायल शुरू नहीं हो पाया है। लिहाजा जमानत पर रिहा किए जाने का आदेश दिया जाता है। अभियुक्त को दस लाख रुपए का बांड भरना पड़ेगा। पर्याप्त मात्रा में स्योरिटी देनी पड़ेगी और उनमें से आधा लोकल होनी चाहिए। कोर्ट की अनुमति के बगैर अभियुक्त ट्रायल कोर्ट के क्षेत्राधिकार से बाहर नहीं जाएगा।