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युवा भारती क्रीड़ांगन मामले में हाईकोर्ट का दखल से इंकार

शुभेंदु सहित तीन ने दायर की है पीआईएलपुलिस की भूमिका पर कोर्ट के तीखे सवाल

सभी पीआईएल की साझा मांग : केंद्रीय एजेंसी की जांच

जितेंद्र, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : युवा भारती क्रीड़ांगन में दुनिया के मशहूर फुटबालर लियोनेल मेसी के आगमन के दौरान हुए हंगामे को लेकर तीन पीआईएल दायर की गईं थी। सोमवार को इसकी सुनवायी समाप्त हो गई। एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजय पाल और जस्टिस पार्थ सारथी सेन के डिविजन बेंच ने फैसले को रिजर्व कर लिया। सुनवायी के दौरान डिविजन बेंच ने पुलिस की भूमिका को लेकर तीखे सवाल किया। तीनों पीआईएल में इस प्रकरण की जांच किसी केंद्रीय एजेंसी से कराये जाने का आदेश देने की अपील की गई है। हाईकोर्ट ने देर रात को दिये गये आदेश में दखल देने से इंकार कर दिया।

सुनवायी के दौरान एक्टिंग चीफ जस्टिस ने पीटिशनरों से सवाल किया कि आप क्या राहत चाहते हैं। उनकी दलील थी कि पुलिस अपने सीनियर अफसरों के खिलाफ जांच नहीं कर सकती है। इस मामले में डीजीपी से लेकर सीपी तक को शोकॉज किया गया है। कुछ आला अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई है। राज्य सरकार की तरफ से बहस कर रहे सीनियर एडवोकेट कल्याण बनर्जी ने दलील दी कि इस मामले की जांच के लिए आयोग के साथ ही सिट का गठन किया गया है। एक्टिंग चीफ जस्टिस ने सवाल किया कि ये दो संस्थाएं किस तरह काम करेंगी। क्या इसे परिभाषित किया गया है। एडवोकेट सब्यसाची भट्टाचार्या ने कमिशन की वैधानिकता पर सवाल उठाया। इसके साथ ही कहा गया कि चार सौ पास जारी किए गए थे। पीटिशनरों ने आरोप लगाया है कि मंत्री सुजीत बसु अपने समर्थकों को पास बांट रहे थे। जस्टिस पार्थ सारथी सेन ने सवाल किया कि इस तरह के कार्यक्रम में कितने पास बांटे जाएंगे क्या इसका आकलन नहीं किया जाता है। मेसी की मुर्ति के संदर्भ में जस्टिस सेन ने सवाल किया कि क्या किसी सार्वजनिक स्थान पर इस तरह मुर्ति की स्थापना की जा सकती है। पास के बाबत एडवोकेट बनर्जी की दलील थी कि इसे अर्गानाइजिंग संस्था ने जारी किया था। इधर इस मामले के प्रमुख अभियुक्त शताद्रु दत्त के एडवोकेट की दलील थी कि गेट की व्यवस्था तो पुलिस के पास थी। अगर चार सौ के बजाए हजार लोग चले गए थे तो इसका जवाब पुलिस देगी। स्टेडियम में पानी के बोतल ले जाने के सवाल पर उनकी दलील थी कि इसकी तो मनाही है और गेट का प्रबंधन पुलिस कर रही थी। इसके साथ ही उनकी दलील थी कि यही कार्यक्रम हैदराबाद, दिल्ली और बांबे में आराम से संपन्न हो गया। दस लाख रुपए में टिकट की बिक्री का सवाल भी उठा। इसकी मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत जांच कराने की अपील की गई है।


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