कौन सा ऐसा महीना है जिसमें त्योहार न हो : एसीजे
जितेंद्र, सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : चिंगड़ीहाटा मेट्रो के मामले में हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजय पाल और जस्टिस अजय कुमार गुप्त के डिविजन बेंच ने सीधा और स्पष्ट आदेश दिया है। डिविजन बेंच ने कहा है कि 15 फरवरी से पहले उन तीन रातों की तारीख तय करनी पड़ेगी जब ट्रैफिक ब्लॉक किया जाना है। राज्य सरकार की तरफ से मंगलवार को इसकी सुनवायी के दौरान इस पीआईएल की ग्रहणयोग्यता पर सवाल उठाया गया। डिविजन बेंच ने इसे खारिज करते हुए सवाल किया कि अगर यह पीआईएल जनहित में नहीं है तो फिर किसे जनहित की पीआईएल कहेंगे। यहां गौरतलब है कि चिंगड़ीहाटा में 366 मीटर की पटरी को जोड़ने के लिए बायोडक्ट पर स्लैब रखे जाने हैं।
एडवोकेट जनरल किशोर दत्त की दलील थी कि सामने क्रिसमस है और जनवरी में गंगासागर मेला है। इसलिए ट्रैफिक ब्लॉक किया जाना मुमकिन नहीं है। हालांकि पीटिशनर के एडवोकेट का सवाल था कि गंगासागर के तीर्थालु भला चिंगड़ीहाटा में कब आते हैं। जस्टिस सुजय पाल ने कहा कि भारत धार्मिक उत्सवों का देश है। यहां भला ऐसा कोई महीना है जिसमें कोई त्योहार नहीं होता हो। उन्होंने कहा कि अगर इस आधार पर ट्रैफिक ब्लॉक की अनुमति नहीं देंगे तब तो कभी अनुमति नहीं दे पाएंगे। जस्टिस पाल ने कहा कि न्यू गरिया से सेक्टर 5 तक की मेट्रो सेवा इसलिए शुरू नहीं हो पा रही है कि ट्रैफिक ब्लॉक की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि बिलावजह देर किए जाने से लागत बढ़ती है और लोगों को सेवा का लाभ नहीं मिल पाता है। जस्टिस सुजय पाल ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश पर सभी साझीदारों की कई बैठकें हुई पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए। एक बार सहमति बनी भी तो बाद में नकार दी गई। राज्य की तरफ से यहां फुट ब्रिज बनाये जाने का सवाल भी उठाया गया है। इस पर पीटिशनर के एडवोकेट ने सवाल किया कि कौन से मेट्रो स्टेशन के पास फुट ब्रिज है। एडवोकेट जनरल ने इस आदेश पर स्टे लगाए जाने की अपील की तो इसे एक्टिंग चीफ जस्टिस ने खारिज कर दिया।