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जेल की सजा से राहत तो मिली, भरना पड़ेगा बांड

जितेंद्र, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : हाई कोर्ट की जस्टिस चैताली चटर्जी दास ने पीटिशनर को छह माह जेल की सजा से मुक्त तो कर दिया, पर शर्त लगा दी कि नेकचलनी का बांड भरना पड़ेगा। यह मुचलका देना पड़ेगा कि आदेश की तारीख से अगले छह माह तक कोई हंगामा या फसाद नहीं करेगा और शांति बनाये रखेगा। पीटिशनर को तालाब खुदाई के एक मामले में विष्णुपुर के न्यायिक मजिस्ट्रेट ने छह माह साधारण जेल की सजा सुनायी थी। लोवर कोर्ट के सारे चरणों से गुजरने के बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा था।

पीटिशनर नवकुमार दत्त और अन्य को न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 2005 में जेल की सजा सुनायी थी। कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी की है कि इस बात की कभी तफतीश नहीं की गई कि बगल वाले प्लाट का मालिक क्या सही में उस जमीन का भी मालिक है जिस पर तालाब खोदे जाने को लेकर विवाद है। इस मामले में राजनीति का भी बूं है। पीटिशनर और प्रतिवादी राजनीतिक दल के मामले में एक दूसरे के विरोधी हैं। जस्टिस चटर्जी दास ने अपने फैसले में कहा है कि इस क्रिमिनल रिविजन के मामले में कोई मेरिट नहीं है, लिहाजा इसमें दखल देने की गुंजाइश नहीं है। इसके साथ ही कहा है कि इस मामले में एफआईआर 1993 में दर्ज की गई थी और सजा 2005 में सुनायी गई थी। अपीलेट कोर्ट ने अपना फैसला 2006 में सुनाया था। इसलिए पीटिशनर को जेल भेजने के बजाए बांड भरे जाने का आदेश दिया जाता है। उसे पांच-पांच हजार रुपए की दो स्योरिटी भी देना पड़ेगी। उसे दो माह के अंदर जिला प्रोबेशन अधिकारी के पास बांड भरना पड़ेगा।

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