सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : विभिन्न मांगों को लेकर राजनीतिक दलों और गैर राजनीतिक दल नवान्न अभियान का आवाहन करते हैं। अभियान के दिन सब कुछ थम जाता है। ठप हो जाता है कारोबार और दुकानों के शटर गिर जाते हैं। वाहन भी थम जाते है, और जो कुछ चलते भी हैं उनमें चढ़ना भी एक जोखिम उठाना जैसा होता है। स्कूली बच्चे हो या बूढ़े किसी को भी राहत नहीं मिलती है। इन मुश्किलों का जिक्र करते हुए पर्यावरणविद सुभाष दत्त ने हाई कोर्ट में एक पीआईएल दायर की है। अगले सप्ताह इसकी सुनवायी होने की उम्मीद है।
सुभाष दत्त ने पीआईएल दायर करने से पहले प्रशासन के शीर्ष से लेकर आम तक के सामने इस मुद्दे को उठाया था। उनका कोई जवाब नहीं मिला और वे कोई हल भी नहीं सुझा पाए। सुभाष दत्त ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव, गृह सचिव, हावड़ा के सीपी और डीएम को ज्ञापन भेज कर इन मुद्दे पर ध्यान आकृष्ट किया था। इसके बाद ही कोर्ट में पीआईएल दायर की है। इस पीआईएल में कहा गया है कि नवान्न अभियान के दिन हावड़ा के साथ ही हावड़ा ब्रिज, जीटीरोड और फरसोर रोड आदि पर जाम लगता है, वाहन थम जाते हैं और इनके साथ ही लोगों का रोजमर्रा का जीवन भी थम जाता है। इसके साथ ही नवान्न अभियान से निपटने के लिए पुलिस बैरिकेड लगा देती है। इससे अभियान में शामिल होने वालों को रोकना तो मुमकिन हो जाता है पर इसके साथ ही लोगों का जीवन भी थम जाता है। यहां तक कि एंबुलेंस के लिए भी जाना मुश्किल हो जाता है। स्कूली बच्चों को भी भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही इस पीआईएल में कहा गया है कि सड़कों पर बैरिकेड लगाने और इन्हें हटाने में हजारों की रकम खर्च होती है। यह पैसा जनता के पॉकेट से जाता है। इस रकम की वसूली उस राजनीतिक दल या गैरराजनीतिक संगठन से की जाए जिसने नवान्न अभियान के लिए आवाहन किया है।