सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : हत्या के एक मामले की सीबीआई जांच के खिलाफ संदेशखाली के शेख शाहजहां की तरफ से दायर अपील पर सुनवायी सोमवार को समाप्त हो गई। जस्टिस देवांशु बसाक और जस्टिस प्रसेनजीत विश्वास के डिविजन बेंच ने फैसले को आरक्षित कर लिया। सीबीआई की तरफ से इस अपील की ग्रहणयोग्यता पर सवाल उठाया गया। पीटिशनर का दावा है कि उसे इस मामले में पार्टी नहीं बनाया गया है।
एडवोकेट अनामिका पांडे ने यह जानकारी देते हुए बताया कि संदेशखाली में तीन लोगों की 2019 में हत्या कर दी गई थी। इस मामले में एफआईआर में शेख शाहजहां का नाम भी था। सीआईडी ने 2022 में चार्जशीट दाखिल करते समय शेख शाहजहां का नाम बाद कर दिया था। पुलिस के खिलाफ इनएक्शन का आरोप लगाते हुए मृतकों की पत्नी ने हाई कोर्ट में रिट दायर की थीं। जस्टिस जय सेनगुप्त ने मामले की सुनवायी के बाद इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी थी। इसी के खिलाफ यह अपील दायर की गई है। पीटिशनरों की तरफ से पैरवी करते हुए एडवोकेट विल्वादल भट्टाचार्या की दलील थी कि चार्जशीट दाखिल की जाने के बाद भी फर्दर इंवेस्टिगेशन किया जा सकता है। जस्टिस बसाक का सवाल था कि जब अभियुक्त के बारे में जानकारी है को उसे पार्टी क्यों नहीं बनाया गया। एडवोकेट भट्टाचार्या की दलील थी कि सिंगल बेंच ने कहा है कि अभियुक्त को जांच में दखल देने का कोई हक नहीं है। ट्रायल के दौरान वह अपना पक्ष रख सकता है। पीटिशनर के एडवोकेट की दलील थी कि जिस देवदाश मंडल की हत्या का आरोप है वह भी हत्या के एक मामले में अभियुक्त था। सीबीआई की तरफ से डीएसजी धीरज त्रिवेदी ने पैरवी की। जस्टिस बसाक ने सवाल किया कि इस मामले से उस हत्या का क्या ताल्लुक है। बहरहाल पीटिशनर के एडवोकेट कोर्ट के सवाल के बावजूद ठोस जवाब नहीं दे पाए।