सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : हाई कोर्ट के जस्टिस कृष्णा राव ने एक मामले में आदेश दिया है कि अवैध कब्जेदार भी बिजली कनेक्शन पाने का हकदार है। बिजली कंपनी ने इस आधार पर कनेक्शन देने से इनकार कर दिया था कि उसने एक सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। इसके बाद उसने हाई कोर्ट में मामला दायर कर दिया था।
पीटिशनर कृष्णावस्थी ने बिजली कनेक्शन देने के लिए आवेदन किया था। पर बिजली कंपनी के सहायक अभियंता ने अंडमान निकोबार द्वीप के सर्कुलर के तहत ज्वायंट इलेक्ट्रसिटी रेगुलेटरी कमिशन के अधिनियम का हवाला देते हुए बिजली कनेक्शन देने से इनकार कर दिया था। बिजली विभाग की दलील थी कि पीटिशनर मकान का मालिकाना सुबूत पेश नहीं कर पाया था। अधिनियम के तहत इसकी बाध्यता है। पीटिशनर ने सरकारी जमीन पर कब्जा करके अपना मकान बना लिया है। पीटिशनर ने अभिमन्यू मजुमदार बनाम सुपरिनटेंडिंग इंजीनियर के मामले का हवाला दिया था। इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि अवैध कब्जेदार भी बिजली कनेक्शन पाने का हकदार है। कोर्ट ने कहा है कि पीटिशनर एक अवैध कब्जेदार है। उसके लिए मालिकाना सुबूत हासिल करना नामुमकिन है। हालांकि रेगुलेशन की धारा 5.30 के तहत इसकी बाध्यता है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि बिजली विभाग ने इस अधिनियम का हवाला सिर्फ इसलिए दिया है कि अवैध कब्जेदार को बिजली कनेक्शन पाने के लिए आवेदन देने से रोका जा सके। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि माना कि पीटिशनर एक अवैध कब्जेदार है इसके बावजूद उसके लिए अधिनियम की धारा 5.30 के तहत कागजात पेश करने की बाध्यता नहीं है। जस्टिस राव ने सहायक अभियंता के आदेश को खारिज करते हुए आदेश दिया है कि पीटिशनर को बिजली का कनेक्शन दिया जाए।