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हाई कोर्ट ने बरी किया तीन को फांसी की सजा से

प्रोसिक्यूशन साबित नहीं कर पाया हत्या का आरोप

सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : हाई कोर्ट के जस्टिस देवांशु बसाक और जस्टिस शब्बार रसीदी के डिविजन बेंच ने तीन अभियुक्तों को फांसी की सजा से बरी कर दिया। सियालदह सेशन कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनायी थी। उनके खिलाफ एक महिला की हत्या करने का आरोप था। इस महिला की लाश कई टुकड़ों में एक सूटकेश के अंदर सियालदह स्टेशन के पास पार्किंग लॉट में मिली थी। डिविजन बेंच ने अभियुक्तों को बरी करते हुए कहा है कि प्रोसिक्यून हत्या के आरोप को साबित करने में बुरी तरह नाकाम रहा है।

एडवोकेट अमृता पांडे ने यह जानकारी देते हुए बताया कि हत्या की यह घटना 2014 में घटी थी। इस मामले में सुरजीत देब, लिपिका पोद्दार और संजय विश्वास के खिलाफ हत्या का मामला दायर किया गया था। हत्या के बाद जयंती देव का शव कई टुकडों में एक सूटकेश के अंदर रखा हुआ था। डिविजन बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि इस बात के पर्याप्त सुबूत है कि सुरजीत देव ने इस घटना के काफी पहले जयंती देव का साथ छोड़ दिया था। अपने साथ वह अपनी बेटी को भी ले गया था और किसी दूसरे स्थान पर रहने लगा था। वह लिपिका पोद्दार के साथ पति पत्नी की तरह रहने लगा था। डिविजन बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि ट्रायल के दौरान इस बात का कोई सुबूत नहीं मिला कि तीनों अभियुक्त घटनास्थल के आसपास मौजूद थें और हत्या की इस घटना में शामिल थें। डिविजन बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि ट्रायल के दौरान प्रोसिक्यूशन यह साबित करने में बुरी तरह नाकाम रहा है कि अभियुक्तों के खिलाफ लगाए गए आरोप संदेह से परे हैं। इसलिए उन्हें दी गई फांसी की सजा खारिज की जाती है। यहां गौरतलब है कि अगर किसी भी अभियुक्त को फांसी की सजा दी जाती है तो उसे हाई कोर्ट में पुष्टि करने के लिए भेजा जाता है।


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