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16 घंटे तक लॉकअप में क्यों, हाई कोर्ट में सुकांत की रिट

भीड़ के बगैर जाने की अनुमति क्यों नहीं दी : कोर्ट

सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : केंद्र सरकार में मंत्री डॉ. सुकांत मजुमदार की तरफ से हाई कोर्ट में दाखिल रिट में सवाल उठाया गया है कि उन्हें 16 घंटे तक लॉकअप में क्यों रखा गया। जस्टिस तीर्थंकर घोष ने मंगलवार को मामले की सुनवायी करते हुए सवाल किया कि भीड़ के बगैर सुरक्षा कर्मचारियों के साथ उन्हें जाने की अनुमति क्यों नहीं दी गई। सुकांत मजुमदार के एडवोकेट का दावा था कि ऐसा पहली बार नहीं, बल्कि इसके पहले भी दो बार हुआ है। एडवोकेट जनरल ने इस रिट की ग्रहणयोग्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे एफिडेविट दाखिल करेंगे।

जस्टिस घोष ने सुकांत मजुमदार के एडवोकेट से कहा कि वे मामले की सुनवायी कर रहे है और पीटिशनर को कहीं जाना है तो सिर्फ थाने के सूचना दे दे। एडवोकेट जनरल ने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा कि वे किसी एक घटना का मिसाल दें जहां उन्होंने अनुमति मांगी हो और प्रशासन ने अनुमति नही दी हो। सुकांत मजुमदार के एडवोकेट की दलील थी कि कोई वजह बताए बगैर उन्हें हिरासत में लिया गया। जस्टिस घोष ने कहा कि अगर 163 धारा भी लागू थी तो प्रशासन उन्हेंं रोकने के बजाए सहयोग कर सकता था। जस्टिस घोष ने एडवोकेट जनरल से कहा कि केंद्र सरकार के मंत्रियों के आने जाने के बाबत एक एसओपी बनाया जाए। इसमें विवेक का इस्तेमाल करें। ये भी तो केंद्र सरकार में मंत्री हैं और उनके भी एक संवैधानिक अधिकार हैं। जस्टिस घोष ने कहा कि अगर आम लोग इस तरह का मामला दायर करते हैं तो बात समझ में आती है, पर राजनीतिक दलों के नेता इस तरह के मामले दायर करेंगे तो कोर्ट की दिक्कत बढ़ जाएगी। जस्टिस घोष ने राज्य सरकार और पीटिशनर को एफिडेविट व जवाबी एफिडेविट दाखिल करने का आदेश दिया है। इसकी अगली सुनवायी 24 जुलाई को होगी। सुकांत मजुमदार ने जस्टिस घोष की टिप्पणी का स्वागत किया है।


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