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आरजीकर के डॉक्टरों के मामले में राज्य अपना स्टैड स्पष्ट करे

एफिडेविट के साथ शर्ट नोट्स दाखिल करने का आदेश

सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : आरजीकर के डॉक्टरों तरफ से दायर पीटिशन के मामले में हाई कोर्ट के जस्टिस विश्वजीत बसु ने राज्य सरकार को अपना स्टैंड स्पष्ट करने का आदेश दिया है। राज्य सरकार को एफिडेविट की शक्ल में उनकी दलील के शर्ट नोट्स दाखिल करना पड़ेगा। राज्य सरकार का दावा है कि अगर इस मामले की सुनवायी होनी भी है तो स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल (सैट) में होनी चाहिए।

जस्टिस बसु का एडवोकेट जनरल किशोर दत्त से सवाल था कि क्या राज्य सरकार ने अपनी स्थापित परंपरा का उल्लंघन किया है। इसके जवाब में एजी की दलील थी कि राज्य सरकार को उन्हें कहीं भी पोस्टिंग करने का अधिकार है। राज्य सरकार उन्हें वेतन देती है। वे कमोबेश सरकारी कर्मचारी हैं। उनकी दलील थी कि पहले इस पीटिशन की ग्रहणयोग्यता का निपटारा होना चाहिए। अगर ग्रहणयोग्यता साबित करते हैं तो फिर इसके मेरिट पर बहस होगी। इसके जवाब में जस्टिस बसु ने एजी को आदेश दिया कि वे एक रिपोर्ट दाखिल करें। इसके साथ ही वे जजमेंट भी दाखिल करें जिन्हें वे पेश करना चाहते हैं। एजी की दलील थी कि इस बात का कोई मायने नहीं है कि मेरिट लिस्ट में कौन किस स्थान पर है। डॉ. अमितोश महतो की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट प्रतीक धर ने कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाने का आदेश देने की अपील की। एजी की दलील थी कि इसे रिकार्ड नहीं करें पर कहा कि कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी। एडवोकेट धर की दलील थी कि जब तक मामले का निपटारा नहीं होता है तब तक आरजीकर के खाली पद पर नियुक्ति नहीं की जाए। एजी इस पर सहमत नहीं हुए और आम लोगों के हित का हवाला दिया। एडवोकेट धर की दलील थी कि ये राज्य सरकार के कर्मचारी नहीं है, इसलिए सैट में जाने का सवाल ही नहीं है। उनकी दलील थी कि ये प्रति साल के लिए 10 लाख या तीन साल के लिए एकमुश्त 30 लाख रुपए देकर अपनी जवाबदेही से बच सकते हैं। सरकारी कर्मचारियों के मामले में ऐसा नहीं होता है। उनकी दूसरी दलील थी कि मेरिट लिस्ट के आधार पर अपनी पसंद का मेडिकल कालेड एंंड हॉस्पिटल चुनने का हक उन्हें है। वर्षों से ऐसा होता आया है। राज्य सरकार इसे अपनी मर्जी से बदल नहीं सकती है। डॉ. अशफकुल्ला नइयां और डॉ.देवाशिष हाल्दार के मामले की सुनवायी भी इसी कोर्ट में होगी। उनकी पोस्टिंग मेरिट लिस्ट के आधार पर उनकी पसंद के मेडिकल कालेज एंड हॉस्पिटल में करने के बजाए सरकार ने अपनी मर्जी से कर दिया है।


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