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तिलकुट की मिठास और दही-चिवड़ा के स्वाद के साथ आप सभी को हैप्पी मकर संक्रांति!

कोलकाता: मकर संक्रांति भारतीय त्योहारों में एक विशेष स्थान रखता है, जो हर साल जनवरी माह में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन मनाया जाता है। यह पर्व खासतौर पर भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, और इसकी अपनी एक सांस्कृतिक, धार्मिक और कृषि संबंधी अहमियत है। मकर संक्रांति को तिलकुट और दही-चिवड़ा के साथ मनाने की परंपरा है, जो इस दिन को खास बनाती है।

मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति में एक खास पर्व

मकर संक्रांति का महत्व हिन्दू धर्म में विशेष रूप से होता है, क्योंकि इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, और यह दिन ठंड के बाद सूर्य के उत्तरायण होने का संकेत है। उत्तरायण सूर्य की ओर होने वाले इस परिवर्तन को शुभ माना जाता है, और इसे एक नए आरंभ के रूप में देखा जाता है। इसे कृषि समुदाय के लिए भी खास महत्व दिया जाता है, क्योंकि यह फसल कटाई का समय होता है। इस दिन को 'संग्रांति' कहते हैं, जिसका अर्थ है 'एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना', और इसे सूर्य के उत्तरायण मार्ग पर प्रवेश करने के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

मकर संक्रांति की पूजा विधि

मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना शुभ माना जाता है। इस दिन लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद से सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हैं। खासकर तिल और गुड़ से बनी वस्तुएं इस दिन का हिस्सा होती हैं। तिलकुट और गुड़ के साथ मकर संक्रांति की पूजा और खाने की परंपरा है, जो एकता और भाईचारे का प्रतीक मानी जाती है। इसे दान करने की भी परंपरा है, जहां लोग तिल, गुड़ और नए वस्त्र दान करते हैं।

मकर संक्रांति और उसकी विविधताएं

मकर संक्रांति को विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है और विभिन्न रीति-रिवाजों से मनाया जाता है:

  1. पंजाब: पंजाब में इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। यहां इस दिन लोग आग के चारों ओर नाचते-गाते हैं और तिल, गुड़, मक्का, मूंगफली को अग्नि में अर्पित करते हैं।
  2. उत्तर भारत: उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में इसे मकर संक्रांति के नाम से ही मनाया जाता है। इस दिन लोग पतंगबाजी करते हैं और एक-दूसरे को तिलकुट और दही-चिवड़ा का प्रसाद देते हैं।
  3. गुजरात और महाराष्ट्र: गुजरात में इसे 'उतरायण' कहा जाता है और यहां भी खासतौर पर पतंगबाजी का आयोजन किया जाता है। महाराष्ट्र में इसे 'माघ संक्रांति' के रूप में मनाते हैं, जहां लोग तिल और गुड़ का सेवन करते हैं और दान देते हैं।

मकर संक्रांति और कृषि

मकर संक्रांति का दिन किसानों के लिए खासतौर पर महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह फसल कटाई का समय होता है। खासकर उत्तर भारत में गेहूं, जौ और अन्य रबी फसलों की कटाई शुरू होती है, और यह दिन किसानों के लिए खुशियों का प्रतीक है। मकर संक्रांति का त्योहार इस बात को उजागर करता है कि कृषि जीवन का अभिन्न हिस्सा है, और इस दिन को किसानों द्वारा अपनी मेहनत के फल का उत्सव मनाने के रूप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सामाजिक एकता और खुशहाली का प्रतीक भी है। यह पर्व सूर्य की ऊर्जा को स्वागत करने, नए चक्र की शुरुआत, और कृषि परंपरा के महत्व को मान्यता देने का अवसर प्रदान करता है। मकर संक्रांति के दिन तिलकुट, दही-चिवड़ा, मकर संक्रांति की पूजा और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ यह पर्व हमें समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशी की कामना करता है।

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